जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल साशन लगाने की मांग, बीजेपी ने वापस लिया समर्थन

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जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ़्ती सरकार से भाजपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. गठबंधन तोड़ने का ऐलान करते हुए बीजेपी ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य में राज्यपाल शासन लागु होने की घोषणा जल्द करे.
जम्मू-कश्मीर की महबूबा सरकार से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. महबूबा की पार्टी पीडीपी से गठबंधन तोड़ने के ऐलान के साथ ही बीजेपी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया जाए. बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि हमने सभी की सहमति से आज यह निर्णय लिया है कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर सरकार से भागीदारी वापस लेगी. पीडीपी से नाता तोड़े जाने के फैसले से संबंधित चिट्ठी बीजेपी ने राज्यपाल एनएन वोहरा को भेज दी है.

उन्होंने कहा कि जनता के जनादेश को ध्यान में रखकर हमने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार चलाने का निर्णय लिया था. लेकिन पीडीपी-बीजेपी गठबंधन को लेकर आगे चलना संभव नहीं हो रहा था. बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सहमति के बाद गठबंधन तोड़ने पर फैसला किया गया.”

पीडीपी और एनसी की बैठक

बीजेपी के फैसले के ठीक बाद राज्य में मुख्य विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस ने बैठक बुलाई है. इस बैठक में आगे की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी. वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने आज शाम चार बजे बैठक बुलाई है. पीडीपी ने कहा कि उन्हें प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से बीजेपी के फैसलों की जानकारी मिली.

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शिवसेना का बड़ा हमला

बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने कहा है कि अपवित्र गठबंधन को लेकर हमने पहले ही कह दिया था कि यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. यह एंटी नेशनल गठबंधन था.


गठबंधन तोड़ने के मुद्दे पर आज बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बैठक की. इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ बीजेपी नेता और पार्टी के कोटे से मंत्री मौजूद थे. आपको बता दें कि बीजेपी और पीडीपी में सीजफायर, कठुआ गैंगरेप मामले की जांच, सरकार में भागीदारी को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है. 87 सदस्यों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी की 28, बीजेपी की 25 सीटें हैं. दोनों दलों ने चुनाव के बाद गठबंधन किया था.

कैसे बनेगी सरकार?

गठबंधन टूटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में नई सरकार बनेगी या राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा? यह बड़ा सवाल बना हुआ है. खबर है कि फारूख अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) सरकार बनाने के लिए प्रयास कर सकती है. सूबे में एनसी के 15 विधायक, कांग्रेस के 12 और अन्य सात विधायक हैं.