नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थिति कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के मावलंकर हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि देश को ज्यूडिशियरी में भी आल इंडिया एग्जाम की जरूरत है।
आईएएस, आईपीएस और आईआरएसके तर्ज पर एआईजेएस की भी परीक्षा आल इंडिया स्तर पर होनी चाहिए। इससे प्रतिभावान छात्र-छात्राएं न्यायायिक क्षेत्र में बढ़—चढ़कर अपनी भाग ले सके और अपनी सेवाओं को दे सके। मौजूदा समय में आल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विसेज की आवश्यकता काफी बढ़ गई है। ये बातें मंगलवार को फोरम फॉर आल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विसेजद्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कही। इस दौरान बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि जब देश में आईपीएस, आईआरएस और आईएएस हो सकता है तो एआईजेएस क्यों नहीं हो सकता है और ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा एडिशनल जजों की नियुक्तियां होंगी। इसमें सफल हुए अभ्यर्थियों का भविष्य में एक पूल तैयार हो सकेगा, जिससे हायर ज्यूडिशियरी के जजों की नियुक्तियां करना आसान हो जाएगा। इन सबके लिए कानून मंत्रालय सभी सुझावों के लिए तैयार है। सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के साथ मिल-जुलकर काम करने को तैयार है। गौरतलब है कि लंबे समय से लंबित पड़े अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की परीक्षा की मांग ने फोरम फॉर आल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विसेज के प्रयासों के बाद एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है। हालांकि कार्यक्रम के दौरान रविशंकर प्रसाद ने स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल इस मामले पर जल्द ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना आसान बात नहीं है और इसकी राह में अभी कई तरह के रोड़े है। समाज के अलग-अलग वर्गो, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और सरकार, इन सभी की सहमति के बिना इस पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
कानून मंत्री ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि निजी तौर पर वो इस मामले का समर्थन करते हैं, ताकि न्याय प्रक्रिया में और ज्यादा पारदर्शिता आ सके, साथ ही समाज के हर वर्ग का व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में भाग ले सके और इसका हिस्सा बन सके। उन्होंने 5000 सब ज्यूडिशियरी के पदों को भरने के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगई की सराहना करते हुए कहा कि यदि ज्यूडिशियरी को प्रभावी और तत्काल उत्तरदायी बनाना है तो हमें रिक्रूटमेंट सिस्टम को पारदर्शी और बेहतर बनाने की सख्त जरूरत है ताकि न्याय व्यवस्था को गति मिल सके। वहीं पूर्व मानव संसाधन राज्य मंत्री संजय पासवान ने लोगों की भागीदारी पर बल देते हुए कहा कि हाशिये वर्गां को ज्यूडिशियरी में भागीदारी मिलनी चाहिए चाहे वो अनुसूचित जाति/जनजाति से हो या फिर महिला हो या फिर दिव्यांग हो, सबों का सभी क्षेत्र में हिस्सेदारी होनी चाहिए। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया, पूर्व न्यायाधीश शोभा दीक्षित, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री विकास सिंह, फोरम के अध्यक्ष डॉ. सुब्बा राव समेत कई जानी-मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया। कानून विज्ञ, विधि छा़त्र-छात्राओं ने हजारों की मौजूदगी रही।