हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में कुंभ मेले का शुभारंभ 7 दिसंबर को विशेष स्नान के साथ शुरु हो जाएगा। 5 से 7 दिसंबर तक वृश्चिक राशि होने के कारण ढाई दिन का दुर्लभ योग बना है। इस दौरान कुरुक्षेत्र में देश-प्रदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे और ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाएंगे।
गौरतलब है कि देश में हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। एक स्थान पर महाकुंभ 12 साल बाद लगता है, लेकिन धर्मग्रंथों में 12 राशियों के अनुसार 12 स्थानों पर कुंभ लगने का उल्लेख मिलता है। वर्तमान में देश में आठ स्थानों पर कुंभ सदियों पहले लुप्त हो चुका है। अखिल भारतीय सर्वमंगला कुंभ सेवा समिति ने इन्हीं स्थानों पर लुप्त और सुप्त कुंभों को जागृत करने की मुहिम शुरू की है। इसी के तहत 2017 में बिहार के सिमरिया, तो इस वर्ष कुरुक्षेत्र में कुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है।
उधर, तीर्थराज प्रयाग में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर होने वाले शाही स्नान के लिए मेले में श्रद्धालुओं, साधुओं और पर्यटकों की आवक बढ़ गई है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम के सभी 19 घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं के स्नान का सिलसिला शुरू हुआ जो देर शाम तक जारी रहा। सोमवार की देर रात से रुक-रुककर हो रही बारिश के कारण ठंड बढ़ गई, लेकिन इससे श्रद्धालुओं के जोश में कोई कमी नहीं आई। सोमवार को करीब पांच लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई थी। इस बीच राज्य सरकार ने आगामी स्नान पर्व को भी सकुशल संपन्न कराने के लिए समस्त राज्यों से कुम्भ मेले के मुख्य स्नान पर्व पर अति विशिष्ट व्यक्तियों तथा फिल्म एवं अन्य क्षेत्रों की हस्तियों के सम्भावित आगमन को देखते हुए यह परामर्श दिया है कि वे मुख्य स्नान पर्व से एक दिन पहले या एक दिन बाद का कार्यक्रम बनाएं, ताकि उनकी सुरक्षा एवं स्वागत सुनिश्चित की जा सके।
विश्व हिंदू परिषद की ओर से संगम क्षेत्र में आयोजित होने वाली धर्म संसद की तैयारियां भी लगभग पूरी हो गई हैं। बताया जाता है कि राम मंदिर आंदोलन में एक बार फिर से प्राण फूंकने के लिए महाकुंभ में साधु, संतों और संघ परिवार का जमावड़ा हो रहा है।