नई दिल्ली –
अपने लेखन के लिए जानी जाने वाली उर्दू की महान लेखिका इस्मत चुग़ताई का आज 107वां जन्मदिन है. इस्मत चुग़ताई उर्दू की एक महान लेखिका थी. इस्मत जुगताई का जन्म 21 अगस्त 1915 को हुआ था. उनके 107वें जन्मदिन पर गूगल ने भी एक खास डूडल बनाकर उन्हें याद किया है. बात अगर उर्दू की इस महान लेखिका का करे तो इस्मत चुग़ताई ने एक से बढ़कर एक किस्से कहानियां और बहुत सारी कविताएं लिखी जिसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया. उनके द्वारा लिखी गई कविताओं और कहानियों ने उन्हें कामयाबी के मुकाम तक भी पहुंचाया. इस प्रकार अगर बात उर्दू की महान लेखिका इस्मत चुग़ताई की करे तो उन्हें उर्दू शार्ट स्टोरी के चार स्तंभो में से एक माना जाता था. उर्दू लेखिका इस्मत चुग़ताई ने महिलाओं के अधिकार के लिए सबसे ज्यादा लिखा.
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अपनी ‘लिहाफ’ कहानी के कारण खासी मशहूर हुई
उर्दू लेखिका इस्मत चुग़ताई को शब्दों से बड़ा लगाव था जिस कारण था इस्मत चुग़ताई एक महान उर्दू लेखिका बन पाई. इसमत जुगताई को महिला सशक्तिकरण के रूप में देखा जाता था. कई बार उनके द्वारा लिखे गए लेखनी में अश्लीलता को लेकर लोग उन्हें लोग निशाने पर लिया. इस्मत चुग़ताई का कैनवास काफी व्यापक था जिसमें अनुभव के विविध रंग उकेरे गए हैं. ऐसा माना जाता है कि “टेढी लकीरे” उपन्यास में उन्होंने अपने ही जीवन को मुख्य प्लाट बनाकर एक स्त्री के जीवन में आने वाली समस्याओं और स्त्री के नजरिए से समाज को पेश किया है. वे अपनी ‘लिहाफ’ कहानी के कारण खासी मशहूर हुई. वर्ष 1941 में लिखी गई इस कहानी में उन्होंने महिलाओं के बीच समलैंगिकता के मुद्दे को उठाया था. उस दौर में किसी महिला के लिए यह कहानी लिखना एक दुस्साहस का काम था.
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उनकी सोच अपने समय से आगे थी इस्मत चुग़ताई
इस्मत चुग़ताई को इस दुस्साहस की कीमत अश्लीलता को लेकर लगाए गए इलजाम और मुक़दमे के रूप में चुकानी पड़ी. उर्दू की महान लेखिका इस्मत चुग़ताई ने आज से करीब 70 साल पहले पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों के मुद्दों को स्त्रियों के नजरिए से कहीं चुटीले और कहीं संजीदा ढंग से पेश करने का जोखिम उठाया था उनके अफसानों में औरत अपने अस्तित्व की लड़ाई से जुड़े मुद्दे उठाती है. साहित्य तथा समाज में चल रहे स्त्री विमर्श को इस्मत चुग़ताई आज से 70 साल पहले ही प्रमुखता दी थी. इससे पता चलता है कि उनकी सोच अपने समय से कितनी आगे थी.
उन्होंने अपनी कहानियों में स्त्री चरित्रों को बेहद संजीदगी से उभारा और इसी कारण उनके पात्र जिंदगी के बेहद करीब नजर आते हैं. स्त्रीयों के सवालों के साथ ही उन्होंने समाज की कुरीतियों, व्यवस्थाओं और अन्य पात्रों को भी बखूबी पेश किया. उनके अपसानों में करारा व्यंग्य मौजूद है. वहीं बात अगर उर्द की महान लेखिका को मिले पुरस्कारो और सम्मानों की करे तो उन्हें वर्ष 1974 में गालिब अवार्ड से नवाजा गया जो उन्हें उनके उपन्यास टेढ़ी लकीर के लिए दिया गया था. इसके साथ ही उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, इकबाल सम्मान, फिल्मफेयर बेस्ट स्टोरी अवार्ड और नेहरू अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
साल 1991 76 वर्ष की उम्र में उर्दू की महान लेखिका इस्मत जुगताई का निधन हो गया. इस्मत चुग़ताई एक महान उर्दू लेखिका थी जिनके द्वारा लिखी गई कहानियों और उपन्यासों को लोग आज भी पढ़कर उनकी लेखनी के कायल हो जाते है.