साफ-सफाई और बेहतर देखभाल से कमजोर नवजात को बनाएं स्वस्थ

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कमजोर नवजात की पहचान है सब सबसे अहम कड़ी

कंगारू मदर केयर इसमें हो रहा है रामबाण साबित

बांका, 10 दिसंबर

कमजोर नवजात की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस लिहाज से कोरोना काल में मां की चुनौतियां और बढ़ गयी है. बेहतर साफ-सफाई एवं देखभाल के जरिए कोरोना संक्रमण काल में भी कमजोर नवजात को स्वस्थ बना सकते हैं.
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि कमजोर बच्चे की पहचान सबसे अहम है. अगर आप इस में सफल हो जाते हैं तो उसे स्वस्थ बनाना बड़ी बात नहीं है. ऐसा देखा गया है कि कमजोर नवजात में तापमान की कमी की समस्या रहती है. इससे निजात पाने में कंगारू मदर केयर रामबाण साबित हो रहा है. कंगारू मदर केयर के जरिए मां या घर का कोई भी व्यक्ति नवजात को अपने सीने से चिपकाकर उन्हें गर्मी देते हैं. यह प्रक्रिया तब तक करने की सलाह दी जाती है जब तक बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम न हो जाए. इसके साथ-साथ सदर अस्पताल में रेडिएंट वार्मर की भी व्यवस्था है. बच्चा अत्यधिक कमजोर है तो उसे एसएनसीयू में भर्ती कराया जाता है, जहां पर उसका उचित इलाज किया जाता है.

स्तनपान कराना नहीं भूलें: डॉक्टर चौधरी कहते हैं कि बच्चे को स्तनपान कराना नहीं भूलें. हां, सावधानी जरूर बरतनी चाहिए. जैसे कि बच्चे को छूने से पहले हाथ को साफ कर लेना चाहिए. इसके अलावा जब बच्चा पास में हो तो मास्क जरूर पहनना चाहिए. इन सावधानियों के साथ हम कमजोर नवजात को स्वस्थ बना सकते हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा जागरूक: कमजोर नवजात की देखभाल को लेकर स्वास्थ्य विभाग जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है. आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका की मदद से गांव में जाकर लोगों को कमजोर नवजात की देखभाल से संबंधित उपाय बताए जा रहे हैं. कमजोर नवजात पैदा नहीं हो इसे लेकर गर्भावस्था की शुरुआत से ही देखभाल की जरूरत है.

कमजोर बच्चे की कैसे करें पहचान:
कमजोर नवजात की पहचान मुख्यतः 3 तरीके से होती है. इसमें पहला तरीका है उसका वजन 2000 ग्राम या इससे कम हो. दूसरा तरीका है कि बच्चा स्तनपान करने में सक्षम नहीं हो और तीसरा तरीका है कि बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह के पहले हो गया हो. इन पैमानों पर नवजात को जन्म के बाद परखने की जरूरत है और अगर बच्चा कमजोर पाया जाता है तो उसकी देखभाल शुरू कर देने की जरूरत है.

कमजोर नवजात को 30 दिनों तक विशेष देखभाल की जाती है: कमजोर नवजात की बेहतर देखभाल के लिए कमजोर नवजात देखभाल कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है, जिसमें कमजोर नवजातों को 30 दिनों तक फॉलो-अप किया जाता है. इसके लिए फैसिलिटी स्तर से एनएनएम या डॉक्टर आशा एवं परिवार का 9 बार फॉलो-अप करती हैं. कमजोर नवजात के पहले 7 दिन तक अल्टरनेट डे पर आशा एवं परिवार का फॉलोअप किया जाता है. आठवां कॉल 14 वें दिन एवं 9 वां कॉल 30 वें दिन कर परिवार से कमजोर नवजात का हाल पूछा जाता है.

कोविड 19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल:
• व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
• बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
• साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
• छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढंके.
• उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंके.
• घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
• बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
• आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
• मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें
• किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात-चीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों
• कहीं नयी जगह जाने पर सतहों या किसी चीज को छूने से परहेज करें
• बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें