मेडिकल रूम से रैंप का रंगबिरंगा सफर

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नई दिल्ली। कुछ विरले ही होते हैं, जो वर्षों बाद भूली-बिसरी ख्वाहिश, शौक और तमन्नाओं को अमलीजामा पहना पाते हैं। कुछ ऐसी शखस्यित हैं ट्रिची, तमिलनाडू की रहने वालीं 46 वर्षीया डॉ. दीपा मुक्खुनधम। जी हां, इन्हें शखस्यित कहना लाजिमी है। कारण ये पेशे से डॉक्टर, गाइनोकॉलिजिस्ट हैं। पिछले बीस वर्षों से डॉ. दीपा व्यासायिक गाइनोकॉलिजिस्ट हैं। महिलाओं की सेवा कर रही हैं। ऐसे में इन्हें इज्जत देने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए।
 इनका सफर बेहद रोमांचक है। कारण पिछले सप्ताह इन्होंने द उमराओ होटल, नई दिल्ली में आयोजित ब्यूटि प्रतियोगिता में सेकेंड रनरअप डेजल मिसेज इंडिया व्लर्ड क्वीन और मिसेज साउथ इंडिया क्वीन 2018 का खिताब जीता है। बातचीत के दौरान इन्होंने बताया कि एमबीबीएस की तैयारी से पहले वे शौकिया मॉडलिंग करती थीं। फिर एमबीबीए की पढ़ाई और मेडिकल करियर में इतना मशगूल हो गईं कि अपने मॉडलिंग के शौक को दबाना पढ़ा। मेडिकल करियर में गहरी पकड़ बनाने के बाद बीस साल पुराने शौक को उजागर किया। इसका पूरा श्रेय डॉ. दीपा अपने पति डॉ. मुक्खुनधम को देती हैं। बता दें कि इनके पति पेशेवर एनथिजियोलोजिस्ट और क्रिटिकल केयर फिजिशन हैं। गर्व से डॉ दीपा कहती हैं कि जब मेरे पास मिसेज इंडिया का ऑफर आया, तब मेरे पति ने मेरा साथ दिया और कहा कि तुम मेडिकल क्षेत्र में स्थापित डॉक्टर हो। अब थोड़ा समय अपने पुराने, भूले-बिसरे शौक को दो।
आगे डॉ दीपा बताती हैं कि पति के स्पोर्ट और बच्चों का साथ और अपनी लगन के बाद ही मैं यह कॉम्पिटिशन जीत पाई हूं। इस पूरे सफर में इनके साथ इनकी 17 वर्षीय बेटी साथ रही। जिसे भी मां की तरह मॉडलिंग से लगाव है। सेकेंड रनरअप डेजल मिसेज इंडिया का खिताब जीतने के बाद डॉ दीपा देश की महिलाओं को संदेश देती हैं कि वे अपने स्वास्थ के प्रति सजग रहें। वे स्वस्थ होंगी तो परिवार स्वस्थ होगा। शौक को दबाएं नहीं, पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ शौक को निखारेंगी। इससे सिर्फ शौक की पूर्ति नहीं होगी, बल्कि पॉजिटिव एनर्जी का आपमें इजाफा होगा। यही पॉजिटिव एनर्जी आपसे अनकों अच्छे काम करवाएगी।