• सहयोगी एवं क्रिया संस्था ने 16 दिवसीय अभियान के तहत किया आयोजन
• लिंग आधारित हिंसा रोकने में पुलिसकर्मी निभा सकते हैं महत्वपूर्ण योगदान
• हिंसा रोकन के लिए सोच बदलने की जरूरत
पटना/ 6 दिसम्बर: जेंडर यानी लिंग आधारित हिंसा वर्तमान समय में बढ़ी है। “सहयोगी” संस्था ऐसे ही संवेदनशील मुद्दे पर कार्य कर रही है। इस दिशा में रविवार को “सहयोगी” संस्था के द्वारा “क्रिया” संस्था के सहयोग से पटना के बिहटा एवं नेउरा थाना के पुलिसकर्मियों का जेंडर आधारित हिंसा के मुद्दे पर एक उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। बिहटा थाना के थानाध्यक्ष श्री अवधेश कुमार झा, सब-इंस्पेक्टर, मुंशी के साथ 40 महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मी ने इस कार्यक्रम में प्रतिभागिता की। नेउरा थाना के थानाध्यक्ष श्री संतोष कुमार के साथ 25 अन्य महिला-पुरुष पुलिसकर्मियों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम का आयोजन 16 दिवसीय जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध चलायी जा रही मुहिम के तहत हुआ।यह अभियान महिला हिंसा के प्रति स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजानिक जानकारी उपलब्ध कराकर इसे रोकने का एक सशक्त प्रयास है। जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध 16 दिवसीय अभियान एक विश्वस्तरीय अभियान है, जो 25 नवम्बर – ‘महिला हिंसा को समाप्त करने के अन्तराष्ट्रीय दिवस’ से आरम्भ होता है तथा 10 दिसम्बर – ‘अन्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस’ तक मनाया जाता है। इस अभियान के द्वारा आम लोगों में जेंडर हिंसा एवं महिलाओं के प्रति हो रहे हिंसा के मुद्दे पर जागरूकता बनाया जाता है।
30 फीसदी महिलाओं को 15 साल की आयु से ही शारीरिक हिंसा की होती है शिकार:
इस अवसर पर संस्था की कार्यक्रम निदेशिका रजनी ने प्रतिभागियों को बताया कि घरेलु हिंसा अथवा जेंडर आधारित हिंसा व्यक्तिगत मामला नहीं है, ऐसी घटनाओं के कारण घर-समाज के विभिन्न सदस्यों पर बहुत गहरा मानसिक, मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव पड़ता है। इस बात की बहुत आवश्यकता है कि इन घटनाओं से पीड़ित परिवार को सहानुभूतिपूर्वक एवं संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए, अन्यथा कई बार ऐसी घटनाओं के बहुत घातक परिणाम देखने को मिलते हैं। इन घटनाओं से सम्बन्धित शिकायतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि निश्चय ही हमारे पुलिसकर्मियों पर काम का बहुत दवाब होता है, परन्तु उन्हें घर-परिवार में शान्ति बनाये रखने एवं परिवार को टूटने-बिखरने से बचाने के लिए इस मुद्दे के प्रति जागरूक होकर घरेलु हिंसा एवं जेंडर हिंसा जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने की दिशा में अपना योगदान करने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को ऐसी हिंसा की भयावहता के बारे में बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वस्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 4) में यह उल्लेख किया गया है कि भारत में 15-49 आयु वर्ग की 30 फीसदी महिलाओं को 15 साल की आयु से ही शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है, उसी आयु वर्ग की 6 फीसदी महिलाओं को उनके जीवन-काल में कम-से-कम एक बार यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है।
पुलिस को निभानी होगी भूमिका:
बिहटा थाना के थानाध्यक्ष श्री अवधेश कुमार झा ने बताया कि लिंग आधारित हिंसा को रोकने में पुलिस की भूमिका भी काफी अहम है। इसके लिए उनकी तरह अन्य पुलिस कर्मी को भी इस जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाने की जरूरत है। लिंग आधारित किसी भी तरह हिंसा के पीछे लोगों की सोच होती है।
नेउरा थाना के थानाध्यक्ष श्री श्री संतोष कुमार ने बताया लोगों को अपनी सोच में परिवर्तन लाते हुए महिलाओं एवं लड़कियों के प्रति सम्मान का भाव लाने की जरूरत है। समाज के सभी सदस्यों के प्रति संवेदनशीलता एवं सम्मान के साथ उनसे व्यवहार की अपेक्षा होती है। कई बार ऐसी घटनाओं की पीड़िता एवं परिवारजनों को स्थानीय पुलिस की मदद लेनी पड़ती है। पुलिसकर्मियों को इन पीड़िताओं के साथ संवेदनशीलता के साथ आवश्यक मदद करने की आवश्यकता है।
महिलाओं के हक़ के लिए सहयोगी संस्था प्रयासरत
सहयोगी संस्था अपने आरम्भ से ही सक्रीय रूप से महिलाओं के प्रति हो रहे हिंसा एवं इसके व्यक्तिगत एवं सामाजिक दुष्परिणामों के बारे में समुदाय एवं विभिन्न हितधारकों को जागरूक एवं संवेदनशील बनने के लिए प्रयास कर रहा है। इस मुद्दे पर अपने द्वारा किये जाने वाले हस्तक्षेपों के अंतर्गत संस्था के द्वारा महिला-पुरुष, किशोर-किशोरियों, सेवा-प्रदाताओं, अधिकारीयों, मीडियाकर्मियों, पंचायत प्रतिनिधियों, आदि के साथ मिल कर घरेलू हिंसा एवं जेंडर आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए अलग-अलग स्तरों एवं मंचों के द्वारा प्रयास किया जाता रहा है। सहयोगी के द्वारा बैठकों, सामुदियक सत्रों, प्रशिक्षणों, उन्मुखीकरण, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा यह जानकारी दिया जाता है कि घरेलू हिंसा एवं जेंडर आधारित हिंसा व्यक्तिगत समस्या नहीं है तथा सभी के सहयोग द्वारा ही इस सामाजिक कुरीति को समाप्त किया जा सकता है। संस्था के द्वारा ऐसी घटनाओं को सामाजिक मान्यता नहीं देने के लिए पुरजोर कोशिश किया जाता है तथा इस 16 दिवसीय अभियान के अंतर्गत अधिकाधिक जानकारी दी जाती है।
कार्यक्रम के दौरान सहयोगी की कार्यकारी निदेशक रजनी, कार्यक्रम समन्वयक उन्नति रानी, एडवोकेसी कोऑर्डिनेटर धर्मेन्द्र कुमार सिंह, सेशन कोऑर्डिनेटर राजू पाल के साथ सामाजिक संगठनकर्ता उषा श्रीवास्तव, लाजवंती देवी, संजू कुमारी, मुन्नी कुमारी, रिंकी देवी, बिंदु देवी, निर्मला देवी, सुरेन्द्र सिंह, नितीश कुमार एवं कार्यक्रम प्रबंधक निर्भय कुमार उपस्थित रहे