जल, मिट्टी व हवा में घुला जहर: दादा गुरु

87

नौ दिवसीय यमुना सेवा पद यात्रा पूरी करने के बाद अवधूत दादा गुरु ने साझा किए अपने अनुभव बताया, जल, हवा व धरती के दूषित होने के अलावा प्लास्टिक व नशाखोरी दिल्ली से मथुरा के बीच की बड़ी चुनौती, इस दिशा में काम करने का किया वायदा पूरी यात्रा में दादा गुरू ने लोगों को पौधरोपण समेत प्रकृति के नजदीक जाने की लोगों को दी सीख

BI News,नई दिल्ली।  दिल्ली से मथुरा तक की यमुना नदी की पदयात्रा करने वाले अवधूत दादा गुरु का मानना है कि यमुना जी में जहर है। इस पथ की मिट्टी और हवा में भी जहर है। स्थिति बहुत भयावह है। पूरा जीवन अस्त-व्यस्त है। गहरी शारीरिक व मानसिक विसंगतियां हैं। सारे गांव व नगर संक्रमण के शिकार हैं। दिल्ली में तो सांस लेना भी मुश्किल है। करीब 1100 दिनों से निराहार, सिर्फ नर्मदा नदी के जल पर जीवन यापन करने वाले दादा गुरु दिल्ली में बुधवार मीडिया से बात कर रहे थे। अपना अनुभव साझा करते हुए दादा गुरु ने वायदा किया कि अब उनकी कोशिश जल, मिट्टी व हवा को जहर मुक्त करने की है।

दादा गुरू ने बताया कि जल, मिट्टी व वायु के साथ दिल्ली से मथुरा के बीच दूसरी भी बड़ी विसंगतियां है। इसमें प्लास्टिक का हर तरफ जाल फैला हुआ है। वहीं, भगवान कृष्ण की धरा पर मदिरा सेवन का चलन भी खूब है। खान-पान व आचरण में गिरावट भी है। दादा गुरू ने बताया कि उनकी निजी पीड़ा यही रही कि यमुना जी के पावन तट पर उनको नर्मदा जी का जल लेना पड़ा। दिल्ली से मथुरा के बीच कहीं भी कोई ऐसी जगह नहीं, जहां यमुना का पानी पिया जा सके। यमुना जी का जल जहरीला है। यह देखना बेहद दर्दनाक रहा।

Fact-Checking Workshop Highlights Importance of Media Literacy: Sanjay Pandey

दादा गुरू के मुताबिक, यमुना जी सामूहिक प्रयास से ही अविरल व निर्मल होंगी। जितना काम सरकार को करना है, उतना ही समाज को भी। मिलकर काम करने के प्रभाव से यमुना स्वच्छ होंगी। इसमें तटबंधों पर जंगल व अभ्यारण्य विकसित होंगे। नदी के किनारे पेड़ होंगे तो पानी बचेगा, हवा साफ होगी और जमीन भी। यह एक चक्र है। इसमें तीनों एक-दूसरे साथ हैं। अपनी नौ दिन की यात्रा में लोगों की इसी बात की सीख भी दी। आगे भी यह अभियान जारी रहेगा। इसमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की बात समाज से होगी। वहीं, प्लास्टिक मुक्ति और नशा मुक्ति अभियान भी चलेगा।

नौ दिवसीय पदयात्रा व गोवर्धन परिक्रमा पूरी

यमुना संसद के संयोजक रवि शंकर तिवारी ने बताया कि यमुना की अविरलता एवं निर्मलता के मकसद से नर्मदा मिशन के संस्थापक अवधूत दादा गुरु ने दिल्ली से 28 अक्तूबर को यमुना सेवा पदयात्रा शुरू की थी। नौ दिवसीय इस यात्रा में हजारों लोगों ने शिरकत की। दादा गुरु ने इस बीच लोगों को संदेश दिया दिया कि यमुना जी का संरक्षित रखने का हर काम खुद को बचाए रखने के लिए उठाया गया कदम है। नदी नहीं होगी तो सदी भी नहीं बचेगी। इसमें उन्होंने लोगों को वृक्षारोपण, गौ आधारित खेती के लिए प्रेरित किया। पांच नवंबर को यह यात्रा मथुरा बंगाली घाट पर पूरी हुई। इसके बाद 6 नवंबर को गोवर्धन परिक्रमा की पूरी यात्रा में उन्होंने यमुना जी अविरलता व निर्मलता के लिए मथुरा व वृंदावन में संत मोहित मराल जी, संत प्रेमानंद, अनिरुद्धाचार्य, रमेश बाबा समेत दूसरे कई आध्यात्मिक संतों से सार्थक संवाद भी किया।