नई दिल्ली। आमतौर पर जो एक बार छूट जाता है, वह छूट ही जाता है। महिलाओं के जीवन की अमूमन यही कहानी होती है। लेकिन, कुछ खास महिलाएं होती हैं, जो अपनी जीवटता के बूते नया मुकाम गढती चली जाती है। ऐसी ही बेहद खास हैं प्रियदर्शिनी राजकुमार। राजधानी दिल्ली में इसी महीने पहली तारीख यानी एक अक्टूबर को डेजल मिसेज इंडिया वल्र्ड क्लासिक 2018 का ताज मिला है।
कोई भी मुकाम एक दिन में नहीं मिलती है। इसके लिए मेहनत करना होता है। लगन से काम करना होता हैं। मूल रूप से कश्मीर से ताल्लुक रखने वाली प्रियदर्शिनी चेन्नई में रहती हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर के संग तमिलनाडु की कला-संस्कृति की बेहतर समझ है। तमिल सिनेमा में अपनी कला का जौहर दिखा चुकी हैं। तमिल फिल्म कवण में सपोर्टिंग रोल को काफी सराहा गया। परिवार और संगी-साथियों ने हमेशा से हौसला अफजाई की है। इसके साथ ही साल 2015 में रेमो, अक्षम येनबाडू मदामाई अडा में काम करने का अनुभव बेहतर रहा है। वो कहती हैं कि जल्द ही एक-दो प्रोजेक्ट फाइनल होने वाले हैं, उसकी जानकारी जल्द ही लोगों से शेयर करूंगी।
मन में कोई इच्छा दबी हो, तो उसे समय पर पूरा कर लेना चाहिए। मगर उसके लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पडती है। 43 वर्षीय प्रियदर्शिनी बताती हैं कि तमिल सिनेमा का अनुभव बेहतर रहा। कला-संस्कृति के क्षेत्र में लगातार काम करती रही। काॅलेज के दिनों में अंग्रेजी नाटक में काम करने का अनुभव रहा है। बतौर नाटक कलाकार पुरस्कार भी मिला। वो बताती हैं कि भारत नाटयम की प्रशिक्षित कलाकार के रूप् में कई जगह प्रसिद्धि मिली, लेकिन मन में कसक थी कि कभी रैंप पर वाॅक नहीं किया। मानो यह अधूरा रह गया हो।
कहते हैं न कि मन में ईच्छा हो और सही मार्ग दिखाने वाले मिल जाएं, तो हर मुकाम हासिल हो जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ जब पारिसा कम्युनिकेशन्स की डायरेक्टर तबस्स्मुम हक से बात हुई। मुलाकात हुई। प्रियदर्शिनी बताती है कि तबस्सुम जिस प्रकार से हम जैसे लोगों को मोटिवेट करती हैं। कंफिडेंस जगाती है, वह काबिलेतारीफ है। उनकी पूरी टीम हर प्रतिभागी को बारीक से बारीक बात बताती है। यही कारण है कि राजधानी दिल्ली मेंएक अक्टूबर को मुझे डेजल मिसेज इंडिया वल्र्ड क्लासिक 2018 का ताज मिला।
चेन्नई में समाजसेवा कर रही है अदाकारा को दिल्ली आकर मुकाम हासिल करना कैसा लगा ? प्रियदर्शिनी कहती हैं कि पहले मन में कई तरह की घबराहट थी। लेनिक, जब एक बार डेजल के लोगों से मिली। देश के कई भागों से आए हुई प्रतिभागियों से मिली, तो आत्मविश्वास आता गया। क्लासिक कैटेगरी में कई दूसरे लोग भी थे, लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था। मेरे परिवार ने भी मुझे बूस्ट किया। नतीजा, आप सबके सामने है। जिस प्रकार से उमरांव में रैम्प पर चली, खूब फोटोशूट किया। सबसे अधिक खुशी इस बात को लेकर भी है कि इसके साथ ही ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेंस को लेकर हमने अपनी भागीदारी दी।
इस दौरान कोई बेहद खास अनुभव ? प्रियदर्शिनी कहती हैं कि फाइनल राउंड में मेरे साथ मिसेज मध्य प्रदेश, मिसेज तेलंागाना थी। जजेज ने पूछा कि महिला का सबसे बेहतर रूप कौन-सा है ? मैंने कहा, मां का। मातृत्व से बढकर कोई सुख नहीं है। मां है तो हम हैं। किसी बच्चे के लिए मां जितना सुखद होती हैं, मां बनना उससे कई अधिक स्वर्गिक अनुभूति कराता है। मुझे लगता है शायद यही जवाब उन्हें पसंद आया और मुझे डेजल मिसेज इंडिया वल्र्ड क्लासिक 2018 का ताज मिला। वो कहती हंै कि जल्द ही मैं अंतर्राष्ट्ीय मंचों पर रैम्प वाॅक करना चाहती हूं। जिस प्रकार से तबस्सुम मैम और मेरे परिवार का सपोर्ट है, मुझे पूरा भरोसा है कि मंजिल हासिल कर लूंगी।