जीविका से जुड़कर पति को परिवार चलाने में रोजी खातून कर रही मदद

459
• जीविका से जुड़ने के बाद व्यवसाय शुरू करने में मिली मदद
• प्रत्येक महीने 4000 से 5000 रूपये की होती है आमदनी
भागलपुर, 1 अगस्त
महिलाओं की सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान ही उनके सश्क्तीकरण की बुनियाद होती है. जीविका भी कुछ ऐसे ही उद्देश्यों के साथ महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है. जीविका से जुड़ने के बाद नारायणपुर प्रखंड की सिंहपुर पूर्व पंचायत के नवटोलिया गांव की रोजी खातून एजाज अली के जीवन में आयी बदलाव इसका बेहतर उदाहरण है. रोजी खातून एजाज अली की शादी के बच्चे हुए तो परिवार का खर्च भी बढ़ गया. उनके पति मजदूरी करते हैं जिससे घर चलाने में दिक्कत होने लगी. रोजी को जीविका द्वारा संचालित महिला स्वयं सहायता समूहों की जानकारी मिली एवं वह दीदी समूह मक्का ग्राम संगठन हिमालय से जुड़ गई.
नवजात को पालने में मिली मदद:
रोजी खातून जिस समय जीविका से जुड़ी उस समय वह 9 महीने की गर्भवती थी. पहले दो बच्चे के लालन-पालन के दौरान वह परेशान रहती थी. बच्चे बार-बार बीमार पड़ते थे, लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद रोजी खातून को तीसरे बच्चे के लालन-पालन में इसका फायदा मिला. रोजी ने 6 महीने तक स्तनपान कराया. इस दौरान वह पौष्टिक आहार का सेवन करती रही. बच्चे की उम्र जब 6 माह हुई तो वह पास के आंगनबाड़ी केंद्र पर अन्नप्राशन कराने गई. अन्नप्राशन कराने के बाद भी वह 6 माह तक स्तनपान कराती रही. साथ में उसे पौष्टिक आहार भी दे रही है. इस तरह से रोजी खातून को जीविका से जुड़ने पर आर्थिक फायदा तो पहुंचा ही. साथ ही बच्चों के लालन-पालन में भी मदद मिली.
आर्थिक स्थिति में आयी सुधार:
समूह से जुड़ने के बाद रोजी को आर्थिक रूप से संबल मिलना शुरू हुआ. जीविका द्वारा प्राप्त आर्थिक सहयोग से वह अपना छोटा- मोटा व्यवसाय करने लगी. अब हर महीने वह 4000  से 5000 रूपये तक की कमाई कर  रही हैं. इस पैसे से वह पति को घर चलाने में मदद करती है और परिवार भी खुशहाल रहता है. रोजी कहती है सिर्फ पति  की मजदूरी से घर तो चला लेते लेकिन बच्चे खुशी से नहीं रह पाते. उनका ठीक से भरण-पोषण नहीं हो पाता. पढ़ाई लिखाई भी नहीं करवा पाते. इसलिए उन्होंने जीविका है जुड़ने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि जीविका के सहयोग से वह हल्दी लहसुन का व्यवसाय करती है. इस व्यवसाय से उन्हें हर महीने 4000  से 5000 रूपये तक की कमाई हो जाती है. वह बताती हैं इस अतिरिक्त आय से वह अपने पति को आर्थिक रूप से मदद करने में सक्षम हो रही हैं एवं अब उनका घर बेहतर तरीके से चल रहा है. साथ ही अब वह अपने बच्चे को पहले के मुकाबले ज्यादा अच्छी तरह से पालन-पोषण भी कर पा रही हैं.
जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है नवटोलिया:
रोजी खातून  का गांव नवटोलिया जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है और प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर. यहां रोजगार के साधन नहीं है. ऐसे में जीविका से जुड़ना रोजी के लिए  किसी संजीवनी की तरह है. पति एजाज अली कहते हैं इलाके में व्यवसाय नहीं है. इस वजह से जीविका रोजी के लिए किससे वरदान से कम नहीं है. उनके के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था. सिर्फ मजदूरी करते थे. रोजी जब से जीविका से जुड़ी है  घर की कमाई बढ़ गई है एवं इससे बच्चे का परवरिश बेहतर तरीके से हो रहा है.
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की कोशिश:
जीविका के नारायणपुर ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर पीएन विहंगम ने बताया इस इलाके में लोगों को मुश्किल से रोजगार मिलता है. यहां के अधिकतर परिवार के सदस्य कमाने के लिए बाहर जाते हैं.ऐसे में वे लोग इस इलाके में महिलाओं को समूह से जोड़कर रोजगार मुहैया कराने का काम कर रहे हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति थोड़ी मजबूत हो रही है और रोजगार भी मिल रहा है. दरअसल इलाके में साधन की कमी है. इस वजह से दूसरे रोजगार पनप नहीं रहे है. ऐसे में जीविका की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. यही कारण है कि रोजी जैसे महि लाओं को ढूंढकर जीविका से जोड़ने का काम कर रहे हैं