सामंजस्य और संतुलन से महिलाओं की हो रही है प्रगति

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नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्ीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर राजधानी में सुगति सोपान और मैथिली भोजपुरी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में एक सेमिनार और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित सीएसओआई सभागार में आयोजित कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार के उपाध्यक्ष नीरज पाठक, प्रख्यात साहित्यकार डाॅ आभा झा, सुगति सोपान की अध्यक्ष कुमकुम झा, कवयित्री मृदुला प्रधान, बीएसएनएल के पूर्व सीजीएम आर एन झा, कवियित्री सविता झा सोनी आदि लोगों ने दीप प्रज्वलित करके किया।

उदघाटन सत्र के दौरान अपने वक्तव्य में मैथिली भोजपुरी अकादमी के उपाध्यक्ष नीरज पाठक ने कहा कि अकादमी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल की पूरी कोशिश रहती है कि महिलाओं से जुडी आयोजन को विशेष तरजीह दिया जाए। महिला दिवस पर मैं समस्त महिलाओं की भूमिका की सराहना करता हूं। दिल्ली सरकार ने महिलाओं के हितों और अधिकारो के लिए काफी कार्य किया है। अकादमी की पूरी कोशिश है कि साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिए महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया जाए।

स्वागत भाषण में सुगति सोपान की अध्यक्ष कुमकुम झा ने अपनी संस्था और मिथिला की मनीषियों का जिक्र करते हुए आयोजन का मंतव्य स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में जब हम महिलाओं के अधिकारों की बात करते हैं। उनके सामाजिक चेतना की पडताल करते हैं, तो इसका असर व्यापक होता है। क्येांकि, आज जो भी महिलाएं अपने गांव और शहर से इस महानगर में आई हैं, सबने संघर्ष किया है। हां, उनमें काबिलियत है, लेकिन उन्हें अपने घर और परिवार का साथ भी मिला, तभी वे यहां तक आ पाई हैं। कुमकुम झा ने महिलाओं को टी बैग जैसा बताते हुए कहा कि जैसे टी बैग गर्म पानी में जाकर ही अपनी खुशबू और रंग बिखरेता है। ठीक वैसा ही हम महिलाओं के साथ भी है। जैसे-जैसे जिम्मदारियां और परिस्थितियों से वास्ता होता है, हम उसी अनुरूप स्वयं को ढाल लेते हैं।

सामाजिक चेतना में महिलाओं की भूमिका विषय पर सेमिनार में बीज वक्तव्य देते हुए डाॅ आभा झा ने मिथिला की महान नारियों का उद्धरण दिया। उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। साथ ही महिलाओं की प्रगति में उन्होंने पुरुष को भी जरूरी माना। उन्होंने कहा कि महिला और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों साथ मिलकर आगे बढते हैं। समाज और संस्कृति हमें एकांगी बनाना नहीं सिखाता है।
आयोजन का संचालन विभा कुमारी और सविता झा सोनी ने किया। इस दौरान प्रख्यात रंगकर्मी ज्योति झा ने ललका पाग पर एकल नाटय प्रस्तुति देकर उपस्थित लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि वे भी महिलाओं की स्थिति पर गंभीरता से विचार करें। मिथिला की कई समस्याओं के समाधान के लिए आगे आएं। महिला दिवस पर आयोजित काव्य गोष्ठी में संस्कृति मिश्रा, मृदुला प्रधान, सविता झा सोनी, निवेदिता झा मिश्रा, रंजना झा, समता मिश्रा, रेणु, मुन्नी कामत, खुशबू मिश्रा, नीरा झा आदि कवयित्रियों ने कविता और गीत की प्रस्तुति दी।