लोगों से कोरोना मरीज के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया नहीं करने की कर रहें है अपील
भागलपुर, 20 अगस्त
खरीक प्रखंड की उस्मानपुर पंचायत के अठनियां गांव के संजीव ने न सिर्फ कोरोना को मात दी है, बल्कि वह अब लोगों को भी भेदभाव के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार के कारण उपचाराधीन लोगों के साथ भेदभाव के मामलों में भी बढ़ोतरी हुयी है. यही वजह है कि कोरोना को मात देकर लौटे संजीव अब गांव के लोगों को कोरोना के मरीज से भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं करने की हिदायत दे रहे हैं. इसका असर भी हो रहा है. अब गांव या आसपास के जो लोग कोरोना के शिकार हो रहे हैं, उससे शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए लोग मानसिक तौर पर उनका सहयोग कर रहे हैं.
रिश्तेदार भी कर रहे हैं जागरूक:
संजीव के साथ उनके रिश्तेदार भी कोरोना मरीज के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. बहनोई विजय मंडल कहते हैं जैसे-जैसे कोरोना काल बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे लोगों की सोच में बदलाव भी देखने को मिल रहा है. पहले लोग कोरोना के नाम से ही डरते थे, लेकिन अब लोग डटकर इसका मुकाबला कर रहे है. उन्होंने बताया वह भी लोगों को कोरोना मरीज से भेदभाव नहीं करने की बात लोगों को बता रहे हैं. कोरोना को हराने में लोगों का उपचाराधीन व्यक्ति के साथ व्यवहार बड़ा मायने रखता है. ऐसी स्थिति में पड़ोसियों के सकारात्मक व्यवहार से, उपचाराधीन व्यक्ति को कोरोना से लड़ने में मानसिक संबल भी मिलता है. आज संजीव कोरोना को मात देकर घर वापस हो चुके हैं. उनके उपचार के दौरान उनके रिश्तेदारों ने उनका मनोबल बढ़ाने में काफी सहयोग रहा है.
डॉक्टरों ने बढ़ाया हौसला:
मैट्रिक की परीक्षा देकर संजीव रोजगार के सिलसिले में दिल्ली चले गए थे. वहां पहुंचते ही कोरोना संकट शुरू हो गया. इसके बाद उन्हें मजबूर होकर वापस घऱ आना पड़ा. संजीव 25 अप्रैल को दिल्ली से चले और 1 मई को अपने घर पहुंचे. वह 6 दिन तक क्वारंटाइन में रहे. इस दौरान 7 मई को उनका सैंपल लिया गया और 9 मई को रिपोर्ट आई जिसमें कोरोना की पुष्टि हुयी. इसके बाद उनका ईलाज शुरू हुआ एवं संजीव 16 मई को ठीक हो गए. एक बार तो उसके परिजन डर गए. समाज में जिस तरह का माहौल था उससे भय का वातावरण बन गया, लेकिन संजीव के इलाज का जिम्मा जैसे ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उठाया. धीरे-धीरे परिजनों का भी हौसला बढ़ने लगा. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मायांगज स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में भर्ती कराया. वहां डॉक्टरों ने उसका हौसला बढ़ाया इसके बाद उन्हें लगने लगा कि वह कोरोना को मात दे सकते हैं.
शुरुआत में हुए थे भयभीत:
संजीव कहते हैं, उन्हें जब पता चला कि वह कोरोना से ग्रसित हो चुके हैं तो वह थोड़ा भयभीत हो गए थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम और मायागंज स्थित अस्पताल की व्यवस्था को देखकर उन्हने लगने लगा कि वह अब कोरोना को मात दे सकेंगे. उन्होंने बतया खासकर वहां के डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने जिस तरह से उनका हौसला बढ़ाया वह काबिलेतारीफ है. अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हूं और आगे की यात्रा में बढ़ चुके हैं. अब वह अपने अनुभव लोगों के साथ साझा कर रहे हैं एवं लोगों को मजबूती से कोरोना का सामना करने की बात बता रहे हैं.
आमलोग भी बढ़ाए भागीदारी:
एक बात तो तय है कि कोरोना जैसी महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पूरी मुस्तैदी से जुटी है. खासकर मायागंज स्थित अस्पताल में कोरोना उपचार को लेकर सुविधाओं को निरंतर बढ़ाया जा रहा है. यही वजह है कि यहां पर भर्ती होने वाले 90 प्रतिशत कोरोना मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं. इस कार्य में समाज के लोगों की एकजुटता भी महत्वपूर्ण है. आम लोगों की जागरूकता, सतर्कता एवं भागीदारी कोरोना को हराने की दिशा में प्रभावी साबित हो सकता है