‘विकलांगता अध्ययन का पाठ्यक्रम विकास’’ पुस्तक का विमोचन

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जेएनयू के कुलपति ने किया डॉ. जी.एन. कर्ण की पुस्तक का लोकार्पण
न्यूज डेस्क
नई दिल्ली।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) के मानव अधिकार तथा विकलांगता अध्ययन कार्यक्रम के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के अप्पादोराई सम्मेलन कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार ने जे.एन.यू. के विकलांगता अध्ययन विशेषज्ञ डॉ. जी.एन. कर्ण द्वारा रचित ‘‘विकलांगता अध्ययन का पाठ्यक्रम विकास’’ पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक का विमोचन करते हुए प्रो. कुमार ने विकलांगता अध्ययन के शिक्षण तथा शोध को बढ़ावा देने तथा विश्वविद्यालय परिसर को विकलांगों के उच्च शिक्षा हेतु बाधा मुक्त बनाये जाने की दिशा में जे.एन.यू. के द्वारा उठाए गए कदमों का विशेषतः जिक्र किया।

ललिता ऑफ्टर शास्त्री जी पुस्तक का लोकार्पण

कार्यक्रम की अध्यक्षता अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के डीन प्रो. अजय कुमार पटनायक तथा स्वागत व्याख्यान मानव अधिकार तथा विकलांगता अध्ययन कार्यक्रम के निदेशक   प्रो. राजेश राजगोपालन ने की। इस मौके पर जे.एन.यू के विभिन्न केन्द्रों/विभागों के प्रोफेसरों तथा अधिकारियों सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। पुस्तक विमोचन के मौके पर प्रो. एस. एन. मालाकार, डॉ. सत्य नारायण प्रसाद तथा डॉ. के. सुकुमार (संगठन सचिव, सक्षम, नागपुर) ने भी अपने उदगार व्यक्त किए।
विकलांगता अध्ययन के पाठ्यक्रम/विकास पर लिखी गयी इस पुस्तक में डॉ. जी.एन. कर्ण ने एम.ए./एम. एस-सी., एम. फिल., पी-एच. डी. तथा स्नात्तकोत्तर डिप्लोमा के स्तर पर विकलांगता अध्ययन के पाठ्यक्रमों के विकास की कोशिश की है। जाहिर हो कि देश के सत्रह से अधिक विश्वविद्यालयों में विकलांगता अध्ययन की पढ़ाई विभिन्न स्तरों पर हो रही है। इसके बावजूद विकलांगता अध्ययन का मॉडल पाठ्यक्रम आजतक विकसित नहीं किया जा सका है। लेखक ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को इस दिशा में आवश्यक पहल करने का आह्वान किया तथा जे.एन.यू. के विकलांगता अध्ययन कार्यक्रम को कालान्तर में ‘विकलांगता अध्ययन संस्थान’ के रूप में उत्प्रेरित करने की जोरदार वकालत की।      डॉ. कर्ण ने विकलांगता अध्ययन को मानवाधिकार का हिस्सा बनाये जाने के विश्वविद्यालय के प्रयास की सराहना की।