किशोरियों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य-स्वच्छता की अनदेखी एवं उपेक्षा नहीं करने पर जोर

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• माहवारी मेला के आयोजन द्वारा मासिक स्वच्छता प्रबंधन पर किशोरियों का हुआ उन्मुखीकरण
• सहयोगी संस्था द्वारा कार्यक्रम का हुआ आयोजन
• किशोरियों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य-स्वच्छता की अनदेखी एवं उपेक्षा नहीं करने पर जोर
पटना/20 मई: शुक्रवार को सहयोगी संस्था के द्वारा चांदमारी उच्च विद्यालय, दानापुर में मासिक स्वच्छता प्रबंधन के अंतर्गत माहवारी मेला के आयोजन किया गया। इस दौरान किशोरियों/महिलाओं के व्यक्तिगत स्वच्छता एवं मासिक स्वच्छता प्रबंधन विषय पर विस्तार से चर्चा हुयी। कार्यक्रम में विद्यालय के 100 से अधिक किशोरियों, किशोरों ने भाग लिया।  मासिक स्वच्छता से सम्बंधित समाज में प्रचलित गलत धारणाओं/मिथकों को तोड़ने एवं इनकी अनदेखी करने और परिणामस्वरूप उनसे होने वाली कठिनाइयों तथा रोगों के बारे में किशोरियों से जानकारी साझा की गयी । महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान होने वाली चुनौतियों और इस विषय में ख़ामोशी तोड़ने की बात भी कही गई।

चुप्पी तोड़ने से समाधान संभव:
इस दौरान सहयोगी संस्था की निदेशिका रजनी ने उपस्थित छात्राओं, छात्रों, शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के समय अनेक प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह हमारे व्यक्तिगत स्वच्छता का एक महत्वपूर्ण विषय है और इस विषय में चुप्पी तोड़कर एवं खुलकर बात करने की जरूरत है। यद्यपि आज सोशल मीडिया माध्यमों के द्वारा इस विषय में जानकारी दी जाती है। वहीं,  सरकार के द्वारा भी चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों, विद्यालयों में स्थानीय स्तर पर सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराया जाता है।  परन्तु अभी भी अधिकांश किशोरियाँ एवं महिलाएँ पारंपरिक तरीकों को ही अपनाती हैं। यह आवश्यक है कि उन्हें कपड़ों के इस्तेमाल के बारे में भी सही जानकारी दी जाये। उन्होंने बताया कि माहवारी अस्वच्छता से किशोरियों को कई यौन रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके लिए समाज के हरेक तपके के लोगों को मिलकर इसके प्रति सामुदायिक अलख जगाने की जरूरत है।
माहवारी को छुआ-छूत से करना होगा अलग:
रजनी ने कहा कि किशोरियाँ एवं महिलाएँ माहवारी स्वच्छता पर  बात करने में बहुत संकोच करती हैं। बहुत-सी किशोरियाँ इस दौरान अपने स्कूल नहीं जा पाती हैं। अभी भी लोग इस प्राकृतिक प्रक्रिया के बारे में गलत अवधारणा रखते हैं एवं इसे अपराध मानते हैं। हमारे परिवार में भी इस बारे में कोई बातचीत नहीं की जाती है। उन्होंने बताया कि एनएफएचएस की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 58 प्रतिशत महिलाएँ ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधनों का उपयोग कर पाती हैं। कई परिवारों में लड़कियों को माहवारी चक्र के दौरान अलग-थलग कर दिया जाता है। उनका रसोई और मंदिर जाना वर्जित कर दिया जाता है। परिवार के पुरुषों को इस विषय में बात नहीं करने की हिदायत दी जाती है। यह भी हिंसा एवं भेदभाव का एक प्रकार है। आज आवश्यकता है कि इस बारे में घर में किशोरियों से बात कर उन्हें सही मार्गदर्शन किया जाये। विद्यालायों में भी इस विषय को यौन शिक्षा और स्वच्छता से जोड़कर बातचीत किया जाये क्योंकि मासिक धर्म को लेकर जागरूकता जरूरी है।

पेंटिग्स एवं चित्रकारी से दिया सन्देश:
माहवारी मेला के अंतर्गत किशोरियों के द्वारा इस विषय पर पेंटिंग, चित्रकारी आदि के माध्यम से अपने विचारों, अनुभवों को साझा किया गया। किशोरियों ने चित्रों, पेंटिंग्स के द्वारा माहवारी के समय होने वाली कठिनाइयों, इस विषय में प्रचलित धारणाओं के बारे में दर्शाया। इस मेले में उनके पेंटिंग्स के साथ सेनिटरी पैड्स, रेड डॉट्स, आदि को भी प्रदर्शित कर प्रतिभागियों को जानकारी दी गई। इस विषय पर चर्चा करते हुए आज आयोजित माहवारी मेला में किशोरियों को मासिक चक्र से सम्बंधित जानकारी पाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। उन्हें इस विषय पर प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
किशोरियों ने इस अवसर पर कई प्रश्न पूछे और जानकारी प्राप्त किया। उन्होंने जानना चाहा कि क्या माहवारी आने के बाद हमारी हाईट बढ़ना रुक जाता है, माहवारी नहीं आता है तो क्या बच्चा नहीं होता है, लड़कों को माहवारी क्यों नहीं आता है। एक किशोरी ने बताया कि कुछ लोग बोलते हैं कि माहवारी नहीं आने पर महिला, किशोरी को हिजड़ा कहा जाता है। उनके सभी प्रश्नों का उत्तर दिया गया। साथ ही गलत धारणाओं को दूर करने हेतु सही जानकारी दी गई। इस अवसर पर एक बड़े थाली में लाल रंग के पानी को रखकर किशोरियों को उसमें अपनी परछाई देखने के लिए कहा गया और बताया गया कि माहवारी का लाल रंग किशोरियों, महिलाओं के जीवन से जुड़ा हुआ महत्वपूर्ण अंश है। इस मेले में किशोरियों ने बहुत उत्साहपूर्वक भाग लिया।
यह ज्ञातव्य हो कि सहयोगी द्वारा पटना के विभिन्न गांवों में घरेलु हिंसा एवं जेंडर हिंसा के मुद्दे पर सामुदायिक जागरूकता का कार्यक्रम करती है एवं इस विषय पर सभी हितभागियों के साथ अलग-अलग फोरम पर संवाद करती है। किशोरियों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य-स्वच्छता की अनदेखी को भी हिंसा का एक रूप माना जाता है। सहयोगी द्वारा किशोर-किशोरियों को जागरूक करने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
आज के माहवारी मेला कार्यक्रम में इस विद्यालय के शिक्षकों –  मंजू बाला सिन्हा, संजय कुमार, निरा सिन्हा, रश्मि कुमारी, निहारिका वर्मा, नमिता कुमारी उपस्थित रहे। सहयोगी से कार्यक्रम प्रमुख रजनी, उषा, रिंकी, लाजवंती, रूबी, उन्नति, प्रियंका, रौनक, ऋतू एवं इंटर्न सृष्टि ने प्रभागिता की।