• स्वच्छता और सम्पूर्ण टीकाकरण से सुपोषण को दे रही हैं बढ़ावा
• गर्भवती व धात्री माता के व्यवहार में हो रहा है बदलाव
• केंद्र आधारित गतिविधियों से नौनिहालों के अभिभावक हो रहे कायल
जमुई, 18 नवम्बर ।
ये सिद्ध हो चुका है बदलाव की पटकथा कठोर परिश्रम से ही लिखी जाती है । संसाधनों की प्रचुरता से केवल बदलाव संभव नहीं होता, बल्कि बदलाव की सोच भी काफ़ी महत्वपूर्ण होता है। जिले के सदर प्रखंड के वार्ड संख्या 7, शास्त्री कोलोनी, आंगनबाड़ी केंद्र सं.120 भी ऐसे ही बदलाव का साक्षी बना है। नियमित टीकाकरण के अभाव एवं कुपोषण से जूझ रहे इस क्षेत्र में आज सुपोषण की समतल राह तैयार होने लगी है जो इस आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका हेमकला सिन्हा के प्रयत्न से ही संभव हुआ है। विगत 14 वर्षों के लंबे अनुभव और स्नातक तक की पढाई से हेमकला अपने पोषक क्षेत्र की महिलाओं एवं बच्चों को कुपोषण से लड़ने के लिए स्वच्छता और संपूर्ण टीकाकरण को नियमित कराने में सफ़ल हो पायी हैं।
गृह भ्रमण और परामर्श को बनाया हथियार :
हेमकला कहती हैं उन्होेंने क्षेत्र में स्वच्छता और टीकाकरण को लोगों के व्यवहार में शामिल कराने को एक चुनौती के तौर पर स्वीकार किया। इसके लिए उन्होंने किशोरियों और माताओं के समूह के माध्यम से नियमित बैठकों में चर्चा के साथ ही इसे अभियान का रूप दिया। उन्हें इस बात का एहसास था कि जब तक स्वच्छता के प्रति समुदाय में जागरूकता नहीं आएगी तब तक कुपोषण के ख़िलाफ़ लड़ाई मुश्किल ही रहेगी । इसके लिए उन्हें वार्ड पार्षद अल्का सिंह का भी लगातार सहयोग मिला। जिसमें गली मुहल्लों में गंदगी फैलाने वालों पर जुर्माने के स्वरूप में समूचे मोहल्ले की सफाई एवं केन्द्र की सफाई आदि को सर्वसम्मति से लागू कराया गया। उन्होंने बताया ऐसे प्रयासों से लोगों में पहली बार स्वच्छता के प्रति गंभीरता भी दिखी। ऐसे नवाचारों को समुदाय ने सराहा भी और इस मुहिम में अपनी सहभागिता भी सुनिश्चित की।
अभिभावकों के बीच चर्चा से आया बदलाव:
हेमकला ने बताया उन्होंने इस बात को महसूस किया कि अभिभावकों को बाल कुपोषण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जागरूक करने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने पोषण ट्रैकर मोबाइल आधारित एप से बच्चों के वृद्धि चार्ट को भर कर कुपोषित बच्चों के अभिभावकों के बीच तुलनात्मक चर्चा की शुरुआत करायी। उन्होंने बताया शुरुआती दौर में कई ऐसे अभिभावक भी थे जो अपने बच्चों को टीका लगवाने से संकोच रखते थे। ऐसी स्थिति में उन्होंने एक नया रास्ता चुना । उन्होंने ऐसे अभिभावकों को उन अभिभावकों के साथ चर्चा में शामिल किया जो अपने बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण करवा चुके थे। इससे टीका लगवाने से इंकार करने वाले अभिभावकों में भी काफ़ी सकारात्मक बदलाव देखने को मिले।
लक्षित समुदायों ने भी की प्रशंसा :
22 वर्षीय गर्भवती महिला काजल कुमारी ने कहा यह सेविका दीदी के प्रयासों का नतीजा था कि वह उन्होंने पहली तिमाही में टेटनेस के टीके लगवाने का बेसब्री से इन्तजार भी की एवं टीका लगवाया भी। वहीं पोषणयुक्त आहार की उपलब्धता के लिए दीदी के बताये रसोई वाटिका को अपने पति के सहयोग से लगाया तथा अब हरी साग-सब्जियों को दैनिक भोजन में शामिल जरूर करती हूँ ।
दूसरी बार मातृत्व लाभ पाने वाली एक माह के शिशु की माता 24 वर्षीय निभा कहती हैं उन्होंने तो स्वच्छता और टीकाकारण को सेविका दीदी से ही सीखा है और उनके बताए गए उपायों का पालन करने का परिणाम है कि आज वह और उनका शिशु दोनों स्वस्थ हैं |
समुदाय के साथ नियमित संवाद से कार्य हुआ आसान :
हेमकला के कार्यों प्रसंशा करते हुए महिला पर्यवेक्षिका अर्चना कुमारी ने बताया उनका कार्य सभी से अलग इसलिए है कि वह समुदाय में अपनी एक परियोजना कार्यकर्ता की नहीं, बल्कि परिवार के एक सदस्य के रूप में स्थापित करने में सफ़ल हुयी हैं। इससे वह लोगों से बेहतर संवाद स्थापित कर पाती हैं एवं स्वच्छता व टीकाकारण के लिए लोगों को आसानी से प्रेरित भी करती हैं।
बाल विकास परियोजना पदाधिकारी नीतू न्यारिका कहती हैं हेमकला सिन्हा के कार्य करने के तरीके बाल मित्रवत होते हैं जिससे क्षेत्र के बच्चों व महिलाओं में स्वस्थ व्यवहारों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखता है। वो पोषण को स्थानीय संसाधनों से प्राप्त करने के लिए लक्षित समुदाय को प्रेरित करती हैं। इसके पीछे उनका शिक्षा से जुडाव है। वो गौरवान्वित होकर कहती हैं मेरा साढ़े चार वर्ष का बेटा इसी केंद्र में सीखने जाता है और हेमलता से काफी जुडा हुआ है।
वार्ड पार्षद अल्का सिंह ने कहा हेमकला के परामर्श और खेल-खेल में सिखलाने का परिणाम ही है मेरी छोटी बेटी का आंगनबाड़ी केंद्र से स्वस्थ व्यवहारों के साथ निकल कर निजी विद्यालय में दाखिला मिल पाया। उनका कार्य हमेशा से सराहनीय रहा है ।