– एएनएम स्कूल सभागार में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के स्वास्थ्यकर्मियों को दी गई बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी
मुंगेर, 24 फरवरी | जिले के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का प्राधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने वाले सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद के द्वारा कड़ी से कड़ी करवाई की जाएगी। उक्त जानकारी बुधवार को एएनएम स्कूल सभागार में बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि एस पी राय ने दी । इसमें जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों जैसे सदर और रेफरल अस्पताल, विभिन्न स्वाथ्य केंद्र और हेल्थ और वेलनेस सेंटर से आये हुए हॉस्पिटल मैनेजर, स्वाथ्य मैनेजर, जीएनएम और एएनएम शामिल हुए |
जैव चिकित्सकीय कचरों के प्रबंधन के दी गयी जानकारी –
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुंगेर के क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक रूप नारायण शर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित सभी स्वास्थ्य कर्मियों खासकर जीएनएम और एएनएम को विशेष तौर पर जिले के विभिन्न अस्पतालों में किस तरह से जैव चिकित्सकीय कचरों का प्रबंधन करना है, के सम्बन्ध में केयर इंडिया की डीटीओएफ डॉ. नीलू के द्वारा विस्तार से जानकारी दी गयी | साथ ही इससे जुड़ी तमाम तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया गया।
सभी सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बायो मेडिकल कलेक्शन सेंटर का होना अतिआवश्यक-
प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित सिनर्जीक वेस्ट मैनेजमेंट टीम के प्रतिनिधि तपन कुमार और संदीप कुमार ने कहा कि बायो मेडिकल वेस्ट के संग्रहण (कलेक्शन) के लिए सभी सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बायो मेडिकल कलेक्शन सेंटर का होना अतिआवश्यक है। बताया कि विभिन्न हॉस्पिटलों में बायो मेडिकल कलेक्शन सेंटर के बन जाने से एक ही स्थान से पूरे अस्पताल का कचरा एक ही स्थान से जमा किया जा सकता है। इससे लोगों में संक्रमण (इन्फेक्शन) के फैलने की संभावना काफी कम हो जाती है।
लेबर रूम और ऑपरेशन थियेटर में बचे बायो मेडिकल वेस्ट प्रोडक्ट का सही तरीके से प्रबंधन करना है –
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) विकास कुमार ने कहा कि जिले के सभी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ और वेलनेस सेंटर पर काम करने वाले सभी लोगों को लेबर रूम और ऑपरेशन थियेटर में काम करने के दौरान बचे बायो मेडिकल वेस्ट प्रोडक्ट का सही तरीके से प्रबंधन करना है| ताकि इस कचरे से कोई भी संक्रमण का शिकार न हो।
प्रसव कक्ष एवं शल्य कक्ष में बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन के लिए कलर कोटेड डस्टबिन रखना है –
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद एएनएम स्कूल मुंगेर की प्रभारी प्रिंसिपल रागनी ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में आये सभी हॉस्पिटल मैनेजर, हेल्थ मैनेजर, जीएनएम और एएनएम को प्रसव कक्ष एवं शल्य कक्ष में बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन के लिए कलर कोटेड डस्टबिन रखने की जानकारी दी गई।
बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के तहत चार अलग- अलग रंग के डस्टबिन में करना है जैविक चिकित्सकीय कचरे का संग्रहण :
जिला स्वास्थ्यय समिति के जिला कार्यक्रम समन्वयक ( डीपीसी) विकास कुमार ने बताया कि बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के तहत अलग -अलग रंग के डस्टबिन में अलग -अलग जैविक चिकित्सकीय कचरे को जमा करना है।
पीला डस्टबिन – मानव शरीर का खून से सना आंतरिक भाग जो ऑपरेशन के दौरान निकलता है। इसके साथ ही बैंडेज, कॉटन अन्य सभी वेस्ट प्रोडक्ट जिसको जलाया या भस्मीकरण किया जा सके।
लाल डस्टबिन : माइक्रो बायोलॉजिकल या माइक्रो
टेक्निकल पदार्थ जैसे लचीला ग्लब्स, कैथेटर, सिरिंज या रिसाइकल होने वाले सभी प्लास्टिक से बने पदार्थ ।
नीला / सफ़ेद डस्टबिन : सभी तरह के शीशा से बोतल और टूटे ग्लास का हिस्सा । इसके साथ ही डिस्करडेड मेडिसिन्स और कठोर प्लास्टिक।
काला डस्टबिन : बिना सिरिंज की निडील, ब्लेड्स और धातु से बने सभी प्रकार के वेस्ट प्रोडक्ट ।