टीबी अब लाइलाज नहीं, पर पूरी सतर्कता और सावधानी जरूरी

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–लक्षण दिखते ही तुरंत कराएं जांच, सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है निःशुल्क जांच और इलाज की सुविधा
–सरकारी अस्पतालों में सही समय पर जांच और इलाज के बाद टीबी मरीजों को सरकार देती है सहायता राशि

बांका, 09 मार्च-

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन अब यह लाइलाज नहीं । इससे बचाव के लिए पूरी सतर्कता और सावधानी बेहद जरूरी है। इसके साथ ही सही समय पर यानी शुरुआती दौर में ही लक्षण दिखने के बाद इसकी सही जांच और समुचित इलाज कराना भी जरूरी है। प्रारम्भिक दिनों में ही इस बीमारी का सही इलाज शुरू कराने से बीमारी से स्थाई निजात तो मिलती ही है, साथ ही आप आसानी से इस बीमारी को मात भी दे सकते हैं। शुरुआती लक्षण दिखते ही तुरंत जांच कराएं और रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद तत्काल चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार अपना इलाज कराएं। इस दौरान इस बात का भी विशेष ख्याल रखें कि बीमारी के ठीक होने तक दवाई का क्रम छूटने न पाए।
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. सोहेल अंजुम ने बताया कि टीबी के लक्षण दिखते ही ऐसे मरीजों को तुरंत स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जांच करानी चाहिए और जांच के पश्चात चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार इलाज कराना चाहिए। ताकि समय रहते आसानी के साथ इस बीमारी को मात दी जा सके और अन्य लोगों को भी सुरक्षित रखा जा सके। बीमारी से स्थाई निजात के लिए शुरुआती दौर में ही जांच और इलाज कराना बेहद जरूरी है। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क जांच एवं दवाई की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को उचित पोषक आहार लेने के लिए आर्थिक सहायता राशि भी दी जाती है।
सही समय और सही जांच और समुचित इलाज जरूरीः टीबी से स्थाई निजात पाने को सही समय पर सही जांच और समुचित इलाज जरूरी है। सभी सरकारी अस्पतालों में सही जांच के साथ छह महीने तक निःशुल्क इलाज के साथ ही दवाई की भी सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही टीबी मरीज को आवश्यक पोषक तत्व की पूर्ति के लिए पोषक तत्वों से युक्त भोजन करने के लिए प्रति महीने पांच सौ रुपये की दर से पूरी अवधि तक उचित खान-पान के लिए सहायता राशि दी जाती है।
टीबी होने पर ये करें—
1. लगातार दो हफ्तों से ज्यादा खांसी रहने पर बलगम की जांच कराएं और जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीबी की दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें।

2. हमेशा मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को रुमाल या पेपर नैपकिन से कवर करें।
3. टीबी मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद करने के बाद डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां थूकने से परहेज करें।
4. टीबी मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में ही रहें ।
5. हमेशा पौष्टिक खाना खाएं व योग और व्यायाम करें ।
6. बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
7. भीड़भाड़ वाली जगहों और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
ये हैं टीबी के लक्षण…
1. भूख न लगना या कम लगना तथा वजन का अचानक से कम हो जाना।
2. बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
3. हल्का बुखार का रहना।
4. खांसी , खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
5. गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
6. गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
7. महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
8. पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
9. टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।