– कम उम्र के बच्चों में टीबी के संक्रमण का खतरा अधिक
– दो सप्ताह से अधिक खांसी और बुखार रहने पर अवश्य करवाएं जांच
मुंगेर-
कम उम्र के बच्चों को टीबी के संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें अवश्य लगवाएं बीसीजी का टीका। जिला के सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध है बीसीजी का टीका। उक्त बातें डिस्ट्रिक्ट टीबी/एचआईवी कॉर्डिनेटर शैलेंदु कुमार ने कही । उन्होंने बताया कि कुपोषण के शिकार बच्चों के टीबी संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। टीबी मरीज के संपर्क में आने के बाद कुपोषित बच्चा टीबी से संक्रमित हो सकता है। टीबी से संक्रमित होने के बाद बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती और वो शारीरिक रूप से कमजोर होने लगता है। , खाने – पीने में बच्चे की अभिरुचि कम होने लगती जिसकी वजह से उसका वजन भी तेजी से कम होने लगता है।
उन्होंने बताया कि टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। आम तौर पर टीबी का संक्रमण हवा के माध्यम से फैलता है। टीबी संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से नजदीकी व्यक्ति टीबी संक्रमण की चपेट में आ जाता है। इस बीमारी से कम उम्र के बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं। बच्चों में होने वाला टीबी का संक्रमण व्यस्कों कि तुलना में बहुत अलग होता है। सही समय पर संक्रमण की पहचान एवम समुचित इलाज से टीबी की बीमारी को पूरी तरह से ठीक हो जाता है। इसके अलावा मरीजों के बेहतर पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपए प्रति माह सरकारी सहायता भी उपलब्ध है।
जिला संक्रामक रोग पदाधिकारी डॉ ध्रुव कुमार शाह ने बताया कि कम उम्र के बच्चोंकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। इसकी वजह से वो किसी भी प्रकार की बीमारी की चपेट में आ जाता है। बच्चों में टीबी के लक्षण की पहचान और इलाज दोनों ही चुनौतीपूर्ण है। बड़ों की तुलना में बच्चों में टीबी का संक्रमण ज्यादा घातक साबित हो सकता है।
फेफड़ों से जुड़े होते हैं बच्चों में होने वाले टीबी के अधिकांश मामले :
उन्होंने बताया कि टीबी माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। बच्चों में टीबी के अधिकांश मामले फेफड़ों से जुड़े होते हैं। टीबी के संक्रमण से बचाव के लिए घर के आसपास लम्बे समय से खांसी या बुखार से पीड़ित लोगों के संक्रमण से उन्हें दूर रखें। ऐसे व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल में जाकर जांच और इलाज कराने की सलाह अवश्य दें। इसके साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान, संतुलित आहार के सेवन के साथ – साथ मास्क का नियमित उपयोग टीबी के संक्रमण से बचाव का महत्वपूर्ण तरीका है।
अधिक समय से खांसी और बुखार रहने के बाद अवश्य करवाएं जांच :
डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर के डीपीसी सुमित सागर ने बताया कि बच्चों सहित अन्य लोगों को भी दो से अधिक सप्ताह तक खांसी और बुखार रहने के बाद अपने नजदीकी अस्पताल में जाकर बलगम और टीबी की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए। बच्चियों में 60% टीबी संक्रमण के मामले फेफड़ों से जुड़े होते हैं। इसके अलावा नाखून और बाल को छोड़कर टीबी का संक्रमण शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है।