-परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई सामग्री का जमकर इस्तेमाल कर रहे लोग
-राज्य के कुल प्रजनन दर को कम करने में बांका जिले के लोगों का अहम योगदान
बांका, 8 दिसंबर।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) में बिहार की कुल प्रजनन दर में गिरावट आई है। एनएफएचएस-4 में बिहार की कुल प्रजनन दर 3.4 थी जो अब घटकर 3 हो गई है। इसमें बांका जिले के लोगों का अहम योगदान है। जिले में परिवार नियोजन के स्थाई से लेकर अस्थाई उपायों का लोग भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका फायदा न सिर्फ जिले को हो रहा है, बल्कि राज्य भी कई मामलों में बेहतर कर रहा है।
एनएफएचएस-5 के मुताबिक जिले में परिवार नियोजन के संसाधनों का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है। पहले जहां (एनएफएचएस-4) जिले के 26.9 प्रतिशत लोग परिवार नियोजन के किसी एक साधन का इस्तेमाल करते थे, अब इसकी संख्या बढ़कर 71.5 हो गई है। यानी कि 44.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी। इसी तरह परिवार नियोजन के सभी साधनों का उपयोग करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। पहले जिले के 25.8 प्रतिशत लोग परिवार नियोजन के सभी साधनों का इस्तेमाल करते थे, अब इसकी संख्या बढ़कर 55.7 हो गई है। यानी कि 29.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी। दोगुने से भी ज्यादा की। इसी तरह बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं की संख्या एनएफएचएस-4 के मुकाबले एनएफएचएस-5 में 24.3 से बढ़कर 44.7 हो गई है। इसमें भी 20.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा जो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार नियोजन को लेकर अस्थाई व स्थाई संसाधनों के इस्तेमाल की इच्छा रखने के बावजूद सामग्री उपलब्ध नहीं होने वाले लोगों की संख्या भी घटकर 18.9 से 9.7 सात पर आ गई है। इसमें भी 9.2 प्रतिशत की गिरावट। इस मामले में राज्य का औसत 13.2 है। यानी की कई मामलों में जिला राज्य से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार महतो कहते हैं, जिले में परिवार नियोजन को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। अभी चार दिसंबर को ही परिवार नियोजन पखवाड़ा का समापन हुआ है। इस दौरान जिलेभर में लोगों को परिवार नियोजन को लेकर जागरूक किया गया। परिवार नियोजन से संबंधित स्थाई और अस्थाई संसाधनों के इस्तेमाल की जानकारी दी गई। इससे होने वाले फायदे के बारे में लोगों को बताया गया। इस वजह से जागरूकता बढ़ रही है और परिवार नियोजन के संसाधनों का इस्तेमाल करने वालों की संख्या जिले में तेजी से बढ़ी है। यही कारण है कि जिले समेत राज्य की कुल प्रजनन दर में कमी आ रही है।
काउसिलिंग की भूमिका अहमः सिविल सर्जन कहते हैं कि परिवार नियोजन की सामग्री का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ाने में काउसिलिंग की भूमिका अहम है। परिवार नियोजन पखवाड़ा के दौरान तो सभी लोगों की एएनएम काउंसिलिंग करती ही हैं। साथ में अन्य दिनों में भी काउसिलिंग का काम चलता रहता है। बुधवार और शुक्रवार को जिले में आयोजित होने वाले नियमित टीकाकरण के दौरान भी योग्य दंपतियों की काउंसिलिंग कराई जाती है।