-98 प्रतिशत घरों में किया गया छिड्काव
-जिले के दो प्रखंड में चलाया गया अभियान
शेखपुरा-
जिले में कालाजार उन्मूलन हेतु सदर प्रखंड शेखपुरा एवं बरबीघा में एसपी पाउडर का छिडकाव किया गया। इस अभियान में इन दो प्रखंडों के तीन राजस्व गाँवों के 98 प्रतिशत घरों में छिड्काव किया गया । जिसमें सदर शेखपुरा के कोसरा ,औंधे एवं बरबीघा के पिंजरी राजस्व गाँव में अभियान चलाया गया। .कालाजार उन्मूलन हेतु जिला में समय -समय पर छिड्काव के साथ कालाजार के संभावित रोगियों का खोजी अभियान चलाया जाता है। इस अभियान का मकसद है कि जिले को कालाजार जैसी बीमारी से मुक्त किया जाय। उक्त बातें जिला के सिविल -सर्जन डॉ अशोक कुमार सिंह ने बतायी । ,उन्होंने कहा कि हम सभी को इस बीमारी से बचने हेतु बचाव के साथ जागरूक होने की जरूरत है। उसका कारण ये है कि अगर हम किसी बीमारी से उन्मूलन चाहते हैं तो जागरूकता ही सबसे जरूरी कदम है। . उन्होंने बतया कालाजार एक संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी का परजीवी बालू मक्खी के द्वारा फैलता है। अगर हम अपने घरों के आसपास पानी जमा ना होने दें। ,कूलर के पानी को रोज बदलें। .घर के अन्दर भी साफ -सफाई रखने से इस परजीवी के फैलने का खतरा कम रहता है।
सदर अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा है उपलब्ध :
वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी श्याम सुन्दर ने बताया, कालाजार मरीजों की जाँच की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है। जबकि, सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसके कारण संक्रमित मरीज मिलने पर उन्हें संबंधित पीएचसी द्वारा सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्हें दी जायेगी। साथ ही पाॅजिटिव मरीजों का सहयोग करने पर प्रति मरीज 500 रुपये संबंधित आशा कार्यकर्ता को दी जाती है। 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं।
कालाजार के लक्षण :
– लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– बालू मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।