“जंगल क्राई” फिल्म ने 11वें दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2021 में ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म’ (जूरी) का पुरस्कार जीता। कलिंगा इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोसल सांइसेज (के.आई.एस.एस.) के 12 छात्रों की प्रेरणादायक सच्ची कहानी पर आधारित ‘‘जंगल क्राई”, वर्ष 2007 में यू.के. में आयोजित इंटरनेशनल जूनियर रग्बी टूर्नामेन्ट में उनकी विजयी यात्रा का अनुसरण करती है। वे इंग्लैंड में प्रतिष्ठित अण्डर-14 रग्बी वर्ल्ड कप जीतने के लिए आगे बढ़ते हैं। ‘जंगल क्राई’ एक ऐसी कहानी है जो परिभाषित करती है कि कुछ भी असम्भव नहीं है, शिक्षा एवं खेल को बढ़ावा देता है तथा गरीबी उन्मूलन में मदद करता है एवं हर राष्ट्र के लिए देशभक्ति का जज्बा पैदा करता है, जैसा कि के.आई.एस.एस. करता रहा है। ‘भेजा फ्राई’ के सुप्रसिद्ध सागर बल्लरी और बॉलीवुड हॉलीवुड प्रोडक्शंस के प्रशान्त शाह ने के.आई.एस.एस. के 12 छात्रों की जीवन-यात्रा के वृत्तांत पर आधारित इस रग्बी फिल्म का संचालन किया है।
शिक्षा के माध्यम से आदिवासी बच्चों के सशक्तीकरण के लिए 30,000 आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए एक आवासीय संस्थान के.आई.एस.एस. को स्थापित किया गया था, जो कि स्पोर्ट्स के सशक्तिकरण के लिए एक उपकरण के रूप में भी केन्द्रित था। रग्बी की शुरूआत वर्ष 2005 में के.आई.एस.एस. के संस्थापक, डॉ. अच्युत सामंत द्वारा की गयी थी। वर्ष 2007 में कलिंगा इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोसल साइंसेज (के.आई.एस.एस.) के 12 लड़कों की रग्बी टीम ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए इंग्लैंड में आयोजित अण्डर-14 रग्बी वर्ल्ड कप में इतिहास रचा। तब से के.आई.एस.एस. ने पूरे भारत में रग्बी के खेल को बढ़ावा दिया और इसे लोकप्रिय बनाया। के.आई.एस.एस. की इस अनूठी उपलब्धि को बहुत ही खूबसूरती से ‘‘जंगल क्राई” फिल्म में चित्रित किया गया है।
प्रसन्नता व्यक्त करते हुए के.आई.एस.एस. के संस्थापक, डॉ. अच्युत सामंत ने इस फिल्म के निर्माता प्रशान्त शाह और निदेशक, सागर बल्लरी को इस उपलब्धि और पहचान के लिए उन्हें बधाई दी। साथ ही उन्होंने पुरस्कार के लिए इस फिल्म को योग्य ठहराने व चयन करने के लिए न्यायपीठ अर्थात जूरी को धन्यवाद दिया। डॉ. सामंत ने कहा, ‘‘इस बात से मैं बहुत खुश हूँ कि ‘जंगल क्राई’ में यह दर्शाया गया है कि इंग्लैंड में आयोजित अण्डर-14 रग्बी चैम्पियनशिप में के.आई.एस.एस. के छात्रों ने वर्ष 2007 में किस बहादुरी से सभी भौगोलिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक बाधाओं को पार करते हुए जीत हासिल की।