-आशा और चिकित्सा की कड़ी बनाएं और कोरोना की कड़ी तोड़े।
-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय पटना के द्वारा ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन
-बिहार इंटर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रन और यूनिसेफ के सहयोग से आयोजन
पटना, 16, मई: “मेरा सभी से निवेदन है कि आप सभी शरीर के इलाज के साथ अपने मन को भी स्वस्थ और मजबूत रखें। सकारात्मक सोचें और अपना और अपने परिवार का ध्यान रखें।” उक्त बातें राज्य स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ल ने सभी को प्रेरणा और हौसला देते हुए ऑनलाइन मैसेज के द्वारा कही। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय पटना के द्वारा, बिहार इंटर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रन (बीआईएफसी) और यूनिसेफ के सहयोग से किये गए “आशा और चिकित्सा की कड़ी बनाएं और कोरोना की कड़ी तोड़े” बी. के. ज्योति, प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ने ईश्वरीय विश्वविद्यालय, पटना, सभी को बताया, “कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कोरोना के वक्त लोगों, डॉक्टर, नर्सें और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के बढ़ते डर और चिंता को कैसे संभाला जाये और उनकी भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से बनाये रखा जाये।”
सकारत्मक सोच जरूरी:
डॉ सी. एम. सिंह, अधीक्षक, एम्स, पटना, ने बताया कि “हम सभी डॉक्टर, नर्सें और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी लोगों के मानसिक तनाव को संभालने में प्रशिक्षित हैं। हम मरीज़ो की और उनके परिवार वालों की सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि सभी इस समय पूरी सावधानी से काम कर रहे हैं। सभी कर्मचारी पी. पी. ई. किट्स पहनकर और सारी सावधानियों को बरतकर लोगों का ध्यान रख रहे हैं।
5 से 10 % लोगों को ऑक्सीजन की होती है जरूरत:
“कोविड -19 के मरीज़ो में से 80-85 % लोगों को सिर्फ सर्दी या बुखार जैसे लक्षण दिखाई देंगे और वह ठीक हो जाते हैं। सिर्फ 5-10 % लोगों को ऑक्सीजन की जरुरत होती है और उसमे से भी चंद लोग आई. सी. यु. में भर्ती होते हैं।” यह बातें डॉ शेखर कुमार, सलाहकार, न्यूरो फिज़िशियन, पटना न्यूरो केयर, ने कही
साथ ही उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे इस दौर में घबराएं नहीं।
गंभीर मरीज ही अस्पताल में हों भर्ती:
डॉ वीणा सिंह, सह-प्राध्यापक, एम्स, पटना, ने बताया कि, “सारे हस्पतालों में प्रोटोकॉल्स के मुताबित केवल उन्ही मरीज़ो को भर्ती किया जा रहा है जिनकी गंभीर स्थिति है। बाकी सभी को हम सलाह देते हैं कि वह घर पर कोविड-19 सुरक्षा व्यवहारों का पालन करते हुए अपना ध्यान रखें और हम उनके साथ लगातार संपर्क में रहते हैं सलाह देने के लिए।”
निपुण गुप्ता, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ, बिहार, ने कहा कि , “सभी डॉक्टरों से निवेदन है कि वह सारे हस्पतालों में मनोवैज्ञानिक परामर्श (साइकोलॉजिकल काउंसलिंग) की सुविधा उपलब्ध करवाएं। मरीजों और उनके रिश्तेदारों और खासकर उनके बच्चों के लिए। ” उन्होंने बताया कि कई बच्चे कोविड-19 की वजह से अनाथ हो गए हैं और सभी बच्चों के ऊपर मानसिक और भावनात्मक तनाव बढ़ गया है। बच्चों की मदद के लिए सभी बिहार सरकार की परवरिश योजना का ध्यान रखें और राष्ट्रीय हेल्पलाइन CHILDLINE 1098 पर कॉल करें।
अधिक जानकारी मानसिक अवसाद का कारण:
डॉ बनारसी लाल शाह, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मेडिकल विंग के एवर-हेअल्थी अस्पताल के निदेशक ने कहा कि , “हमें जानकारी सिर्फ उतनी ही लेनी चाहिए जितनी आवश्यक हो। हमे ज़्यादा जानकारी से अपने मानसिक तनाव को बढ़ाना नहीं चाहिए।”
डॉ प्रमोद कुमार, पी. के. इमेजिंग, ने कहा, “सभी डॉक्टरों को यह प्रयास करना चाहिए कि मरीज़ो को सकारत्मक विचारों से उनकी मानसिक स्तिथि संभालने में मदद करें ताकि वह जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएं।”
कार्यक्रम का संचालन बी. के. ज्योति जी द्वारा किया गया और बी. के संगीता जी द्वारा प्रतिभागियों को ध्यान लगाने की और सकारात्मक विचार रखने की तकनीक बताई गई।
कार्यक्रम के मुख्य प्रतिभागी के रूप में डॉ सी. एम. सिंह (अधीक्षक, एम्स, पटना), डॉ शेखर कुमार (सलाहकार, न्यूरो फिज़िशियन , पटना न्यूरो केयर ), डॉ प्रमोद कुमार (पी. के. इमेजिंग), डॉ वीणा सिंह (सह-प्राध्यापक, एम्स पटना), डॉ बनारसी लाल शाह (प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मेडिकल विंग के एवर-हेअल्थी अस्पताल के निदेशक), डॉ अजय कुमार (निदेशक पारस एच. एम. आर. आई. हॉस्पिटल और पाम व्यू हॉस्पिटल), निपुण गुप्ता (संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ, बिहार) और बी. के. ज्योति और बी. के संगीता (प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, पटना) शामिल हुए।