– पूर्वी गिद्धा आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 51 पर आईसीडीएस डीपीओ ने खुद कराया बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार
– पोषण पखवाडा के तहत 16 से 31 मार्च तक जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित किए जा रहे हैं विभिन्न कार्यक्रम
लखीसराय-
छह महीने कि उम्र पूरी करने वाले छोटे- छोटे बच्चों को मां के स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार के रूप में हल्का भोजन के तौर पर दलिया, खिचड़ी, सूजी का हलवा सहित अन्य पोषक तत्व दिया जाना आवश्यक है| ताकि बच्चा कुपोषण का शिकार न हो जाय। इसीलिए प्रत्येक महीने की 19 तारीख को जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर इन बच्चों को अनुपूरक आहार की शुरुआत कराने के लिए अन्नप्राशन संस्कार आयोजित किए जाते हैं । इसी के तहत शुक्रवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर इन बच्चों के लिए अन्नप्राशन संस्कार का आयोजन किया गया।
आईसीडीएस डीपीओ ने हलसी के दो आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को अन्नप्राशन करा की अभियान कि शुरुआत :
समेकित बाल विकास सेवाएं ( आईसीडीएस ) लखीसराय की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) कुमारी अनुपमा ने शुक्रवार को जिले के हलसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) अंतर्गत पूर्वी गिद्धा आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 51 और 55 पर छह वर्ष से अधिक उम्र के तीन बच्चे को अन्नप्राशन करवा कर अन्नप्राशन संस्कार कार्यक्रम की शुरुआत की। आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 51 पर आइसीडीएस डीपीओ कुमारी अनुपमा ने राजेश राम और पूनम कुमारी के पुत्र रियांशु कुमार का अन्नप्राशन करवाया । इस अवसर पर। आंगनबाड़ी सेविका राजु कुमारी, सहायिका अनीता कुमारी के अलावे हलसी प्रखंड की सीडीपीओ इंदू कुमारी भी उपस्थित थीं। इसी प्रकार से आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 55 पर लखीसराय डीपीओ ने फंटूश कुमार और उषा देवी की बेटी निशा भारती और सतीश महतो और सुनीता देवी के पुत्र शुभम कुमार को अन्नप्राशन कराया। इस अवसर पर आंगनबाड़ी सेविका भविता कुमारी और सहायिका श्यामा देवी के अलावे सीडीपीओ इंदू कुमारी भी उपस्थित थी। इस अवसर पर छोटे- छोटे बच्चों की धातृ माताओं को सम्बोधित करते हुए डीपीओ कुमारी अनुपमा ने बताया कि नवजात शिशु के जन्म से लेकर कम से कम छह महीने तक धातृ माताओं को सिर्फ और सिर्फ अपना स्तनपान ही कराना चाहिए। इस दौरन बच्चे को अलग से पानी देने की भी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि मां के दूध में ही 80 प्रतिशत तक पानी मौजूद रहता है। इसके साथ ही छह महीने तक शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए सभी आवश्यक तत्व मां के दूध में ही मौजूद रहता है। बताया कि छह महीने के बाद शिशु को मां के स्तनपान के साथ ही अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए अनुपूरक आहार की आवश्यकता होती है। इसके लिए सभी धातृ माताओं को अपने स्तनपान के साथ ही शिशु को अनुपूरक आहार के रूप में हल्का खाना जैसे दलिया, खिचड़ी, खीर, सूजी का हलवा सहित अन्य खाद्य पदार्थ खिलाना चाहिए। इन बच्चों को स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार की शुरुआत कराने के उद्देश्य से ही प्रत्येक महीने के 19 तारीख को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन संस्कार का आयोजन किया जाता है।
जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों सहित अन्य स्थानों पर आयोजित किए जा रहे हैं विभिन्न कार्यक्रम :
उन्होंने बताया कि जिले भर में अभी पोषण पखवाड़े के तहत 16 से 31 मार्च तक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और अन्य स्थानों पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके तहत गृह भृमण के दौरान लोगों से मिलकर उन्हें पोषण के पांच सूत्र जैसे पहले हजार दिन एनीमिया, डायरिया से बचाव, स्वच्छता, हाथों की सफाई और पौष्टिक आहार के बारे में गर्भवती और धातृ महिलाओं को उचित सलाह देकर जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर 16 से 31 मार्च तक प्रत्येक लाभार्थी गर्भवती महिलाओं और 3 से 6 वर्ष तक बच्चों का वजन लेने के साथ ही उचित सलाह दी जाती है। इसके अलावा सभी आगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों, महिलाओं एवं समुदाय में रहने वाले लोगों को सामान्य योगाभ्यास के लिए जागरूक करने के साथ ही सभी विद्यालयों में किशोर- किशोरियों के साथ पोषण चर्चा की जा रही है।
उन्होंने बताया कि घर- घर आंगनबाड़ी ( फंडामेंटल लर्निंग एंड न्यूमेरेसी लिटरेसी) कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर माताओं/ पालन कर्ताओं को नई पहल पाठ्यक्रम के तहत 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बच्चों में सीखने के आधारभूत, भाषाई कौशल एवं संख्यात्मक योग्यता को बढ़ावा देने के लिए 16 से 20 मार्च तक गतिविधियों का प्रदर्शन किया जा रहा है।