– पारामेडिकल संस्थान में सिविल सर्जन की अध्यक्षता में दिया गया प्रशिक्षण
– मरीजों की पहचान करने और टीबी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने की दी गई विस्तृत जानकारी
बाँका, 25 मार्च-
टीबी मुक्त भारत निर्माण को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है।इसको लेकर हर जरूरी पहल भी की जा रही है। इसी कड़ी में बुधवार को बाँका स्थित पारामेडिकल संस्थान में जिले के सीएचओ (सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी) और एएनएम को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण सिविल सर्जन डाॅ रवीन्द्र नारायण की अध्यक्षता में मास्टर ट्रेनर सह टीबी के जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय एवं केयर इंडिया के डीटीएल तौसिफ कमर द्वारा दिया गया। जिसमें मौजूद सभी कर्मियों को मरीजों की पहचान करने, जाँच और इलाज के प्रेरित करने, सामुदायिक स्तर पर टीबी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने समेत अन्य कई जानकारियाँ विस्तारपूर्वक दी गई। इस मौके पर सीडीओ डाॅ उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा, डाॅ सोहैल अंजुम, शिवरंजन कुमार, अभिनंदन प्रसाद, सुनील कुमार आदि मौजूद थे।
– एक-एक मरीजों की पहचान कर जाँच और इलाज कराने के लिए करें प्रेरित :
सिविल सर्जन डाॅ रवीन्द्र नारायण ने कहा, आपलोग एक-एक मरीज तक पहुँच कर उन्हें जाँच और इलाज कराने के लिए प्रेरित करें। इस दौरान मरीजों को स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराएं। ताकि मरीज बेहिचक अपनी जाँच और इलाज करवा सकें। इस दौरान किसी प्रकार की कोई समस्या हो तो मुझे बताएं। आपकी समस्याओं के समाधान के लिए भी आवश्यक पहल की जाएगी।
– जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है टीबी की मुफ्त जाँच की सुविधा :
सीडीओ डाॅ उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा ने बताया, जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी समेत अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में टीबी की जाँच के लिए सरकार द्वारा मुफ्त जाँच की सुविधा बहाल की गई है। जहाँ कोई भी टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति निःशुल्क जाँच करा सकते हैं। जाँच के साथ निःशुल्क दवाई भी दी जाती है, जो जाँच सेंटर पर ही उपलब्ध है। इतना ही नहीं, इसके अलावा मरीजों को उचित खान-पान के लिए आर्थिक सहायता राशि भी दी जाती है। वहीं, उन्होंने बताया कि टीबी उन्मूलन को सफल बनाने के लिए टीबी रोगी खोज अभियान के तहत भी मरीजों को चिह्नित कर उन्हें सरकारी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ताकि शत-प्रतिशत मरीजों को सरकार की सुविधा का लाभ मिल सके।
– टीबी लाइलाज नहीं, पर समय पर जाँच के साथ इलाज शुरू कराना जरूरी :
डाॅ सोहैल अंजुम ने बताया, टीबी लाइलाज नहीं है। किन्तु, समय पर जाँच और जाँच के पश्चात चिकित्सकों के सलाहानुसार इलाज शुरू कराना जरूरी है। क्योंकि, शुरुआती दौर में ही इलाज शुरू कराने से इस बीमारी को आसानी के साथ मात दी सकती और अनावश्यक परेशानियों का भी सामना नहीं पड़ेगा। इसके लिए सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर समुचित जाँच और इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। इसलिए, मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि लक्षण महसूस होने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाकर जाँच कराएं और जाँच के पश्चात चिकित्सा परामर्श के अनुसार अपना इलाज भी शुरू कराएं।
– टीबी मुक्त भारत निर्माण के सामुदायिक स्तर पर हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी :
केयर इंडिया के डीटीएल तौसिफ कमर ने बताया, सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से टीबी मुक्त भारत निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इसे सार्थक रूप देने के लिए सामुदायिक स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। इसलिए, इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए ना केवल खुद जागरूक होने की जरुरत है बल्कि, पूरे समुदाय को भी जागरूक करने की जरूरत है। इसलिए, मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि ना सिर्फ खुद बल्कि आपको अन्य कोई भी टीबी लक्षण वाले लोग दिखे तो उन्हें तुरंत स्वास्थ्य जाँच और इलाज कराने के प्रेरित करें। साथ ही अपने स्तर से जाँच व इलाज कराने में सहयोग भी करें। आपकी यही पहल टीबी मुक्त भारत निर्माण और राष्ट्रहित में सबसे बेहतर और सराहनीय कदम होगी।
– ये हैं टीबी बीमारी के प्रारंभिक लक्षण :-
– 15 दिन या इससे अधिक दिनों तक लगातार खांसी या बुखार रहना
– बलगम में खून आना
– एक माह या इससे अधिक दिनों तक सीने में दर्द रहना
– लगातार शरीर का वजन कम होना एवं कमजोरी महसूस होना