विश्व नर्सिंग दिवस विशेष: कोरोना काल में एएनएम गीता सिन्हा हर चुनौतियों को दे रहीं मात

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कोरोना जांच से लेकर टीकाकरण तक में निभा रही हैं अपनी भूमिका

नियमित टीकाकरण सहित रूटीन काम को भी बेहतर तरीके से कर रहीं

बांका, 12 मई
हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। आधुनिक नर्सिंग आंदोलन को जन्म देने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगिल की याद में यह दिवस मनाया जाता है। नर्स दिवस सबसे पहले 1965 में मनाया गया था, लेकिन 12 मई 1974 से यह हर साल मनाया जाने लगा। अभी कोरोना काल चल रहा है। कोरोना की पहली से लेकर दूसरी लहर तक में स्वास्थ्यकर्मियों की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। खासकर नर्सिंग स्टाफ का। दफ्तर में तो इन्हें अपनी ड्यूटी करनी ही पड़ती है। साथ ही उन्हें क्षेत्र का भ्रमण भी करना पड़ता है। कोरोना काल में जब लोग घरों से नहीं निकलना चाहते हैं तो ऐसी परिस्थिति में क्षेत्र में जाकर अपनी सेवा देना किसी मिसाल से कम नहीं है।

बांका शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एएनएम गीता सिन्हा कोरोना काल में भी बेहतर तरीके से अपने फर्ज को निभा रही हैं। क्षेत्र की चुनौतियों के बारे में वह कहती हैं, कोरोना की पिछली लहर में लोग ज्यादा सतर्क थे। कोरोना का नाम पहली बार सुना था तो लोग घरों से निकलने से परहेज करते थे, लेकिन दूसरी लहर में लोग थोड़े सहज दिख रहे हैं। उन्हें लग रहा है जैसे वह सब कुछ जानते हैं। लोगों के इस तरह के रवैये से इस बार काम काफी चुनतीपूर्ण हो गई है। ऐसी परिस्थिति में न सिर्फ अपना काम करना पड़ता है, बल्कि लोगों को सतर्क रहने के लिए भी कहना पड़ता है। कोरोना जांच का काम हो या फिर टीकाकरण का, लोगों को गाइडलाइन का पालन करवाना पड़ता है। बिना मास्क पहनकर आने वाले लोगों को समझाना पड़ता है। सामाजिक दूरी का पालन करवाना पड़ता है।

जांच से लेकर टीकाकरण में निभा रहीं अपना दायित्वः गीता सिन्हा कहती हैं कि पहली लहर में कोरोना जांच का काम मुख्य था। इसके साथ-साथ घर-घर जाकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक भी करती थी, लेकिन इस बार चुनौती बढ़ गई है। टीकाकरण भी करना है। कभी हमलोगों की ड्यूटी कोर्ट में लगती है तो कभी आंगनबाड़ी केंद्र जाना पड़ता है टीका देने के लिए। ग्रामीण क्षेत्रों में थोड़ा से लोगों को समझाना पड़ता है। वहां के लोग अभी भी कोरोना के प्रति ज्यादा सतर्क नहीं रह रहे हैं। इसके अलावा रूटीन काम भी कर रही हूं। नियमित टीकाकरण के दिन आंगनबाड़ी केंद्र जाकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करती हूं।

काम को समय पर करने के लिए जानी जाती है गीताः शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि एएनएम गीता सिन्हा समय की पाबंद हैं। सही समय पर दफ्तर आना और अपने काम को समय से करना उनकी आदत में शुमार है। इसका प्रभाव अन्य साथियों पर भी पड़ता है। कोरोना काल में क्षेत्र में गीताजी ने बेहतर कार्य किया है। चाहे वह टीकाकरण का काम हो या फिर कोरोना जांच की या फिर पहली लहर में लोगों को जागरूक करने का काम, उन्होंने बेहतर तरीके से किया है।

36 साल से दे रही हैं सेवाः मूल रूप से भागलपुर जिले के सुल्तानगंज प्रखंड के बाथ थाना क्षेत्र के करहरिया की रहने वाली गीता सिन्हा 36 साल अपनी सेवा दे रही हैं। अभी वह 56 साल की हैं। 20 साल की जब वह थीं तो इस क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया था। बांका जिले में वह कई प्रखंडों में काम कर चुकी हैं। बांका में वह अपने पति के साथ रहती हैं। इन्हें दो पुत्र हैं। दोनों स्नातक कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। पति घर के कार्य में सहयोग करते हैं। यही कारण है कि क्षेत्र में वह अपना काम बेहतर तरीके से कर पाती हैं।