-133 लोगों की स्क्रीनिंग की गई, 10 संभावित मरीज निकले
-सभी को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने की दी गई सलाह
भागलपुर, 23 मार्च-
स्वास्थ्य विभाग और कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट ने सच्चिदानंदनगर में बुधवार को टीबी मरीजों की खोज को लेकर अभियान चलाया। इस दौरान 133 टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें 10 संभावित मरीजों की पहचान की गई। सभी संभावित मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर जांच कराने की सलाह दी गई। उन्हें बताया गया कि टीबी मरीजों के लिए सरकारी अस्पतालों में जांच से लेकर इलाज तक की मुफ्त व्यवस्था है। इसलिए किसी तरह का संकोच नहीं करें और तत्काल इलाज कराने के लिए अस्पताल जाएं। साथ ही 500 रुपये महीने पौष्टित आहार लेने के लिए भी मिलेगा। अभियान के दौरान फैयाज और सुमित ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सामाजिक ढांचा संस्था ने भी इसमें सहयोग किया।
टीबी मरीज से नहीं करें भेदभावः अभियान के बारे में बताते हुए सीडीओ डॉ. दीनानाथ ने कहा कि पहले टीबी बीमारी के प्रति छुआछूत अधिक थी, लेकिन जागरूकता बढ़ने से इसमें कमी आई है। टीबी एक संक्रामक बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। अगर कोई टीबी के लक्षण वाले लोग दिखते हैं तो उससे घृणा करने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से मरीज का इलाज समय पर हो जाएगा और वह ठीक हो जाएगा। उसके ठीक होने से इसका संक्रमण दूसरों में भी नहीं होगा। साथ ही टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने की आशंका रहती है। एमडीआर टीबी होने पर ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है। इसलिए बीच में दवा नहीं छोड़ें।
टीबी को हल्के में नहीं लेना चाहिएः डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। एक के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी समाप्त हो जाएगा।