सन्हौला में यक्ष्मा को लेकर कैंप लगा दो संदिग्ध मरीज मिले

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भागलपुर, 2 दिसंबर

सन्हौला के नगदाहा गांव में गुरुवार स्क्रीनिंग कैंप आरती झा (जिला यक्ष्मा अधिकारी) की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस कैंप में 70 लोगों ने भाग लिया, जिसमें 2 यक्ष्मा संदिग्ध मरीज पाए गए। कैम्प में आये सभी लोगों को यक्ष्मा के लक्षण, बचाव और पोषण के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद महेशपुर के मुखिया से यक्ष्मा पर चर्चा करने के बाद पता चला कि वहां भी दो संदिग्ध मरीज है। इसके लिए दो कंटेनर भी दिया। दरअसल, जिला को 2025 से पहले टीबी से मुक्त कराना है। इसे लेकर जिला स्वास्थ्य समिति ने पूरी ताकत झोंक दी है। स्वास्थ्य विभाग को इस काम में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) भी सहयोग कर रहा है। टीबी मरीजों की पहचान को लेकर जगह-जगह कैंप लगाने के साथ ही अब घर-घर जाकर भी टीबी मरीजों की पहचान की जा रही है। इसी सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग की टीम नगदाहा गांव में स्क्रीनिंग कैंप लगाया। मौके पर सभी लोगों को सही पोषण का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। यहां पर भी सभी लोगों की जांच की गई। जांच में कोई भी बच्चा या फिर शिक्षक टीबी के मरीज नहीं निकले।
संतुलित आहार लेः सिविल सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं। इसे लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को टीबी से बचने के लिए सलाह दी जा रही है। लोग उस पर अमल करें। उन्होंने कहा कि टीबी से बचाव के लिए सही पोषण भी जरूरी है। अगर सही पोषण नहीं मिलेगा तो लोग कुपोषण के शिकार हो जाएंगे और उस पर टीबी की चपेट में आने का खतरा रहता है। इसलिए लोगों को संतुलित आहार लेना चाहिए। आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और मिनरल्स की मात्रा जरूर होनी चाहिए।
ज्यादातर मामले घनी आबादी वाले इलाके मेः डॉ. शर्मा ने कहा कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।