सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट गोल के तहत वैश्विक स्तर पर 2015 के मुकाबले वर्ष 2025 में टीबी रोगियों की संख्या में 80% की कमी लाने का लक्ष्य : जिलाधिकारी 

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: वर्ल्ड टीबी डे की पूर्व संध्या पर जिलाधिकारी ने मीडिया को किया संबोधित
: टीबी अभी भी जानलेवा संक्रामक रोगों की सूची में शामिल है : जिला संचारी रोग पदाधिकारी
लखीसराय, 23 मार्च-
सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट गोल के तहत वैश्विक स्तर पर 2015 के मुकाबले वर्ष 2030 में टीबी रोगियों की संख्या में 80% की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था । इसके साथ ही टीबी से होने वाली कुल मौतों में भी 90% की कमी करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने अपनी महत्वाकांक्षी दृषिटकोण से इसी लक्ष्य को वर्ष 2025 तक प्राप्त करने का निर्णय लिया है। उक्त बातें वर्ल्ड टीबी डे की पूर्व संध्या पर केयर इंडिया और सीफार के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा  आयोजित मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने कही। उन्होंने बताया कि सन 1882 के 24 मार्च को ही डॉ. रोबर्ट कोच ने सबसे पहले टीबी के जीवाणु का पता लगाया था, जिसके बाद ही टीबी रोग की पहचान एवं उपचार का मार्ग प्रशस्त हो सका। इस वर्ष भी हमलोग 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाने वाले हैं। लेकिन इस वर्ष का विश्व टीबी दिवस देश के साथ राज्य के लिए भी महत्वपूर्ण होने वाला है। वर्ष 2025 तक टीबी रोग ख़त्म करने का संकल्प प्रधानमंत्री ने लिया है। हम उनके इस संकल्प को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस बार के विश्व टीबी दिवस की थीम ‘क्लॉक इज टिकिंग’ रखी गयी है। इसका मतलब है कि टीबी को खत्म करने के लिए अब हमारे पास ज्यादा समय नहीं है इसलिए पूरी ऊर्जा के साथ हमें टीबी को हराने की तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि याद रखें ‘टीबी हारेगा तभी देश जीतेगा’’। प्रधानमंत्री के इस महत्वाकांक्षी सोच को साकार करने के लिए हमें मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। इसे संभव करने के लिए टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को एक जनांदोलन का रूप देने की जरूरत है। इस अवसर पर केयर इंडिया के एफपीसी अनुराग गुंजन, डीटीओ ओन राकेश कुमार साहू सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. पीसी वर्मा ने कहा कि टीबी अभी भी जानलेवा संक्रामक रोगों की सूची में शामिल है। मानव इतिहास में अन्य जानलेवा रोगों जैसे हैजा, प्लेग, इन्फ्लुएंजा, स्माल पॉक्स, मलेरिया एवं एचआईवी की तुलना में टीबी से मरने वाले लोगों की संख्या अधिक है। स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशानुसार टीबी के उन्मूलन के लिए कार्यक्रम को जनांदोलन का रूप देना आवश्यक है। प्रत्येक प्रखंड में टीबी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप का गठन कर केयर इंडिया के द्वारा सभी प्रखंड मुख्यालयों में जनप्रतिनिधियों, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों, टीबी चैंपियन, ट्रीटमेंट सपोर्टर एवं  प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के बीच राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध निःशुल्क जाँच, उपचार एवं  निक्षय पोषण योजना आदि  तमाम विषय पर व्यापक जानकारी दी जाएगी ताकि पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक हर निर्वाचित जन प्रतिनिधि टीबी मुक्त पंचायत , विधान सभा क्षेत्र अथवा संसदीय क्षेत्र की कल्पना को साकार कर सकें।
केयर इंडिया के डीटीएल नावेद उर रहमान ने बताया कि विगत दिनों देश के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी टीबी उन्मूलन के लिए जनांदोलन की बात कही है। बिहार सरकार इसी दिशा में एक नवीन पहल कर रही है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से प्रदेश के सभी प्रखंडों में टीबी पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से पूरे मार्च महीने ‘टीबी पेशेन्ट सपोर्ट ग्रुप’ की बैठक होगी, जिसमें उन्हें टीबी के लक्षण सहित इलाज के विषय में जानकारी दी जाएगी। मैं यह अपील करूँगा कि इस मुहिम से जुड़े सभी लोग अपनी शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करें ताकि हर टीबी रोगी चाहे वह सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पताल से इलाज करायें उनकी सभी जाँच एवं दवाएं निःशुल्क मिले। रोगी अकेला महसूस नहीं करे। टीबी हारेगा, देश जीतेगा।
उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण को मात देने के बाद अब हमलोगों को टीबी उन्मूलन की दिशा में भी मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। कोरोना जैसी महामारी के बाद भी वर्ष 2020 में राज्य में लगभग 1 लाख नए टीबी मरीजों को ढूंढने में सफ़लता मिली है। इस वर्ष भी हमें अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान करने का प्रयास करना होगा। टीबी मरीजों की ससमय पहचान करने एवं उन्हें गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क इलाज प्रदान करने के लिए हमारे पास पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध हैं। साथ ही टीबी पीड़ित मरीज को उनके इलाज के दौरान प्रति माह भारत सरकार की तरफ से 500 रुपये की पोषण राशि भी उनके बैंक अकाउंट में सीधे दी जा रही है। मैं आमजनों से अपील करता हूँ कि यदि आपको दो सप्ताह या अधिक समय से खाँसी हो, बुखार हो या शाम में शरीर गर्म हो रहा हो, वजन में कमी आ रही हो, भूख नहीं लग रही हो, छाती में दर्द हो रहा हो, खांसने पर बलगम में खून आ रहा हो एवं अत्यधिक कमजोरी एवं थकान लगता हो तो बिना देर किए नजदीकी टीबी केंद्र में जाकर संपर्क जरूर करें।