लोगों को मस्तिष्क ज्वर के लक्षण, बचाव एवं उपचार की जानकारी देकर जागरूक करने की जरूरत

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-मस्तिष्क ज्वर से बचाव के लिए जिलास्तरीय बैठक का आयोजन
– सिविल सर्जन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जिले के चिकित्सक हुए शामिल

शेखपुरा-

सिविल सर्जन कार्यालय परिसर में बुधवार को सिविल सर्जन डाॅ. अशोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में एईएस/जेई (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) से बचाव के लिए एक दिवसीय जिला स्तरीय बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल हुए। बैठक के दौरान बताया गया कि 15 अप्रैल से मस्तिष्क ज्वर की संभावना काफी तेज हो जाती और बच्चों के इसकी चपेट में आने की प्रबल संभावना रहती है। इसलिए, इससे बचाव एवं इसपर रोकथाम के लिए सभी को अलर्ट रहने की जरूरत है। साथ ही सामुदायिक स्तर पर लोगों को मस्तिष्क ज्वर के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की जानकारी देकर जागरूक करने की जरूरत है। तभी इस बीमारी से बचाव और इसपर रोकथाम संभव है। साथ ही जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों को भी मस्तिष्क ज्वर के खिलाफ अलर्ट रहने की जरूरत है।

– चमकी बुखार के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित उपचार की दी गई जानकारी :
सिविल सर्जन डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने बताया, आयोजित बैठक में मौजूद सभी प्रतिभागियों को चमकी बुखार (एईएस/जेई) के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही सामुदायिक स्तर पर लोगों को लोगों को भी जागरूक करने को कहा गया और मस्तिष्क ज्वर से निपटने के लिए हर स्तर पर तैयार रहने को कहा गया।

– चमकी बुखार से बचाव के लिए जागरूकता भी जरूरी :
वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया, चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है। इसलिए, बैठक के दौरान संबंधित मरीजों की जरूरी समुचित जाँच और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।

– ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
– लगातार तेज बुखार चढ़े रहना।
– बदन में लगातार ऐंठन होना।
– दांत पर दांत दबाए रहना।
– सुस्ती चढ़ना।
– कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
– चिउंटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।

– चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :
– बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
– गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
– पैरासिटामोल की गोली या सिरप दें।