– धरहरा प्रखण्ड के गांव बंगलवा में आईसीडीएस डीपीओ ने की जनजातीय महिला की गोद भराई
मुंगेर-
गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने और सही पोषण के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से मंगलवार को जिला भर के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोद भराई की रस्म की गई । धरहरा प्रखण्ड के सुदूर ग्रामीण जनजातीय गांव बंगलवा में समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) वंदना पांडेय ने स्वयं अपने हाथों से जनजातीय महिला की गोद भराई की रस्म निभायी । इस अवसर पर सीडीपीओ पूनम कुमारी, राष्ट्रीय पोषण मिशन कि जिला समन्वयक मुक्ता कुमारी, लेडी सुपरवाइजर माधवी शाह सहित की कई अधिकारी और आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका उपस्थित थी।
गर्भवती महिलाओं को सही पोषण के लिए जागरूक किया जाता है –
जनजातीय गर्भवती महिला के गोद भराई रस्म के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुंगेर की आईसीडीएस डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि आईसीडीएस के ” सही पोषण तो देश रौशन” अभियान के तहत गोद भराई के रस्म के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को सही पोषण के लिए जागरूक किया जाता है| ताकि गर्भवती महिलाओं और उसके गर्भस्थ हे शिशु को कुपोषण के खतरे से बचाया जा सके। मंगलवार को बंगलवा सहित पूरे जिला के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्थानीय सीडीपीओ, एलएस और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के द्वारा गोद भराई कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
स्थानीय खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करने के लिए प्रेरित किया जाता
डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को अपने खानपान का सही तरीके के ध्यान रखने के लिए जागरूक करने के साथ ही उन्हें खाने-पीने में पोषक तत्वों से युक्त स्थानीय खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए उन्हें स्थानीय मौसम के अनुकुल हरी साग-सब्जी, फल, दूध, दाल के साथ-साथ मांसाहारी महिलाओं को इन सभी चीजों के साथ मांस, मछली और अंडा खाने की भी सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि इन दिनों समूचे जिला भर में गर्भवती महिलाओं और छोटे-छोटे बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए उन्हें खाने-पीने में स्थानीय स्तर पर सहजता से उपलब्ध खाद्य पदार्थों का ही इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए जिला भर में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है। इस दौरान आंगनबाड़ी सेविका -सहायिका के साथ-साथ आशा कार्यकर्ता, आशा फैसिलिटेटर, जीविका बहनें सहित अन्य सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि ग्रामीण स्तर पर तथा वैसे सामुदायिक स्तर पर जहां गरीबी और अशिक्षा की वजह से पोषण के महत्व से अनभिज्ञ हैं उनके बीच जाकर उन्हें संतुलित शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सही पोषण के लिए जागरूक कर रहे हैं ।