आशा दीदी की सक्रियता से गांव की प्रसूताओं को नहीं होती कोई परेशानी

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-सदर प्रखंड के चुटिया उपस्वास्थ्य केंद्र के तहत पोखरिया गांव में पुष्पा कुमारी करती हैं काम
-2006 से बतौर आशा कार्य़कर्ता कर रहीं काम, क्षेत्र के लोगों को उनसे नहीं है कोई शिकायत
बांका, 9 दिसंबर।
ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका बहुत अहम होती है। अगर क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता सक्रिय हैं तो प्रसूताओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। हर तरह की सरकारी सुविधाएं गर्भधारण के बाद से महिलाओं को मिलने लगती हैं। बांका सदर प्रखंड के चुटिया उपस्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत पोखरिया गांव की आशा कार्य़कर्ता पुष्पा कुमारी की गिनती जिले की बेहतरीन आशा कार्यकर्ता के रूप में होती है। गांव के एक-एक लोगों की जानकारी उनके पास रहती है। जैसे ही उन्हें किसी महिला के गर्भधारण की जानकारी मिलती है, वह सक्रिय हो जाती हैं। इसके बाद जांच से लेकर उसकी दवा तक का वह इंतजाम करती हैं। डिलीवरी के बाद भी डेढ़ साल तक जच्चा और बच्चा पर नजर रखती हैं। दोनों को कोई परेशानी नहीं हो जाए, इसे लेकर वह चौकन्ना रहती हैं। पुष्पा कुमारी की सक्रियता का ही परिणाम है कि उनके गांव की अधिकतर महिलाओं का प्रसव अस्पताल में होता है। गंभीर होने पर गर्भवती महिला को भागलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज भेज देती हैं।
पुष्पा कहती हैं कि क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने की वजह से मुझे घर-घर की जानकारी रहती है। किस घर में गर्भवती महिला है या फिर किनके यहां छोटे बच्चे हैं, इसकी जानकारी मुझे रहती है। जानकारी रहने का फायदा यह होता है कि मैं समय से उनलोगों की देखभाल कर पाती हूं। अगर किसी तरह की कोई परेशानी होती है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क कर उसे दूर करने की कोशिश करती हूं। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता बेहतर काम कर रही हैं। पुष्पा कुमारी अपने क्षेत्र में लगातार काम कर रही हैं। क्षेत्र में सक्रिय रहती हैं, इस वजह से इनके क्षेत्र की प्रसूताओं को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
कोरोना काल में बढ़-चढ़कर निभाई भूमिकाः कोरोना काल स्वास्थ्यकर्मियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। आशा कार्यकर्ताओं के सामने तो दोहरी चुनौतियां थीं। एक तरफ रूटीन कार्य़ तो दूसरी तरफ कोरोना को लेकर लोगों को जागरूक करने से लेकर गाइडलाइन का पालन करवाने की जिम्मेदारी। पुष्पा कहती हैं, कोरोना जब शुरू हुआ तो सबसे पहले गर्भवती महिलाओं को लेकर सजग हो गई थी। उन पर लगातार नजर रख रही थी। कोरोना के बारे में जानकारी कम रहने के कारण और सजग रहती थी। इसके साथ-साथ घर-घर जाकर लोगों को मास्क पहनने और सामाजिक दूरी के साथ हाथ की धुलाई के लिए जागरूक करती रहती थी।
12 सौ से अधिक प्रसव करवा चुकी हैं पुष्पाः 41 साल की पुष्पा अब तक 12 सौ से अधिक प्रसव करवा चुकी हैं। घर में तीन बच्चों और पति की जिम्मेदारी के बीच वह अपना काम काफी सफलतापूर्वक करती हैं। पुष्पा कहती हैं कि घरवालों का हमें भरपूर सहयोग मिलता है। मेरे तीनों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। वे समझदार भी हैं। मेरी भूमिका से वाकिफ हैं। इस वजह से मुझे घर में ज्यादा समय नहीं देना पड़ता है। इस वजह से मैं अपने क्षेत्र में भरपूर समय दे पाती हैं। 2006 से आशा कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रही हूं, अबतक क्षेत्र से कोई शिकायत किसी ने नहीं की है। इसकी तस्दीक आप क्षेत्र में जाकर कर सकते हैं।