इस वर्ष ” द क्लॉक इज टिकिंग ” के थीम पर मनाया जा रहा है वर्ल्ड टीबी डे : जिलाधिकारी

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– प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है ” वर्ल्ड टीबी डे ”
– 24 मार्च 1882 को वैज्ञानिक रॉबर्ट कोच ने सबसे पहले टीबी के जीवाणु की खोज की थी

लखीसराय, 24 मार्च| इस वर्ष विश्व यक्ष्मा दिवस (वर्ल्ड टीबी डे) ” द क्लॉक इज टिकिंग ” के थीम पर पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। जो यह बता रहा है कि पूरे विश्व से टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए हमलोगों के पास काफी कम समय है। इसको ध्यान में रखते हुए हमलोगों को काफी काम करने की आवश्यकता है। यह बातें लखीसराय के जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बुधवार को जिला समाहरणालय सभागार में वर्ल्ड टीबी डे पर केयर इंडिया और सीफार के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि आज के ही दिन सन 1882 ईस्वी में वैज्ञानिक रोबर्ट कोच ने सबसे पहले टीबी के जीवाणु की खोज की थी। हम सभी जानते हैं कि टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है| बावजूद इसके यह काफी दुःखद है कि अभी तक टीबी के संक्रमण को रोक पाने में हमलोग पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं। इसके लिए वैश्विक स्तर पर सतत विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट) हो इसको हमलोग एसटीजी भी बोलते हैं के तहत टीबी के उन्मूलन के लिए वैश्विक स्तर पर एक मिशन बनाया गया और इसके तहत यह लक्ष्य निर्धारित किया गया कि 2015 से 2030 तक टीबी मरीजों की संख्या को 80 प्रतिशत और टीबी बीमारी को 90 प्रतिशत तक समाप्त कर दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने इसी लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने का लिया संकल्प :
जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी लक्ष्य को सन 2025 तक प्राप्त करने के लिए संकल्प लिया है । प्रधानमंत्री के इस संकल्प को पूरा करने में देश स्तर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सहयोग कर रहा है। इसको ले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा देश भर में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम ( एनटीईपी) चलाया जा रहा है। इसी कार्यक्रम के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मार्च के महीने में देश भर में ‘ देश जीतेगा, टीबी हारेगा’ अभियान चलाया जा रहा है। । राज्य भर में केयर इंडिया के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही पूरा महकमा अभियान में लगा हुआ है। हमलोगों ने मार्च के महीने में टीबी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए जिले के सभी प्रखण्डों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, धार्मिक संस्थानों के प्रमुख के साथ टीबी सरवाइवर, टीबी पेशेंट सपोर्टर के साथ टीबी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग आयोजित की जा रही है। इसके लिए जिले के सभी प्रखण्डों के लिए प्रतिदिन का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इस मीटिंग के आयोजन का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर टीबी पेशेंट को चिह्नित करने में इन लोगों का सहयोग लिया जा सके और इनके सहयोग से टीबी मरीजों को इलाज और जांच के लिए सरकारी और निजी संस्थानों में लाया जा सके। उन्होंने बताया कि सरकारी के साथ ही निजी स्वास्थ्य संस्थानों में भी टीबी मरीजों की जांच और इलाज की सुविधा निः शुल्क उपलब्ध है। निजी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रमुखों से अपील करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि आप सभी भी टीबी मरीजों को चिह्नित कर हम लोगों के सामने लायें ताकि सही समय पर उनकी जांच और इलाज हो सके।

दो सप्ताह से अधिक खांसी, बलगम में खून आना सहित अन्य लक्षण दिखने पर तत्काल कराएं जांच : आम लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा दो सप्ताह से अधिक दिनों से खांसी, बलगम में खून आना, भूख नहीं लगना, बुखार का रहना या शाम में बुखार आने की स्थिति में अपने नजदीकी सरकारी और निजी कहीं भी अपने बलगम की जांच करवाएं और जांच में टीबी के लक्षण पाए जाने के बाद वहीं से टीबी की दवाएं लेकर सेवन भी शुरू कर दें क्योंकि सरकारी और निजी सभी स्थानों पर टीबी की जांच और इलाज के साथ दवाइयां निःशुल्क मिलती हैं । उन्होने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर और केमिस्ट के साथ भी बैठक हो रही है कि जो लोग जानकारी के अभाव में कहीं से भी कुछ भी दवा लेकर खा लेते हैं तो उनके शरीर में एंटी ड्रग रेजिस्टेंट पैदा हो जाता है और उनके ऊपर टीबी की दवा काम नहीं करती है। ऐसे टीबी मरीज को एंटी ड्रग रेजिस्टेंट मरीज कहा जाता है। ऐसे मरीज के लिए भी दवाओं की व्यवस्था है। उन्होंने बताया ज्यादातर टीबी मरीजों में कुपोषण की स्थिति होती है| इसलिए ऐसे मरीजों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए खाने-पीने में पोषक आहार लेने के लिए निक्षय योजना के तहत प्रत्येक मरीज को प्रति महीने पांच सौ रुपये अनुदान राशि सीधे उनके अकाउंट में क्रेडिट किया जाता है।