• एचआईवी पॉजिटिव लोगों की कमजोर प्रतिरोधक क्षमता इसकी बड़ी वजह
• टीबी से ग्रसित मरीजों को हो सकती हैं कई स्वास्थ्य समस्याएँ
पटना, 12 जुलाई
एचआईवी पॉजिटिव यानि एड्स से ग्रसित लोगों को हमारे समाज में अछूत समझा जाता है. सामाजिक तिरस्कार के भय से कई एचआईवी पॉजिटिव मरीज अपनी बीमारी को लेकर चिकित्सकों से संपर्क करने से कतराते हैं और रोग के प्रबंधन से वंचित रह जाते हैं. ऐसे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक कमजोर होती और मेयो क्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी पॉजिटिव लोगों को टीबी से ग्रसित होने की संभावना आम लोगों की अपेक्षा कई गुना अधिक होती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि एचआईवी पॉजिटिव लोगों को नियमित अंतराल पर अपनी जांच करानी चाहिए जिससे उन्हें पता चल सके कि उन्हें टीबी का संक्रमण है अथवा नहीं.
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता इसकी बड़ी वजह:
मेयो क्लिनिक की रिपोर्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि अस्सी के दशक से पूरे विश्व में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों में टीबी संक्रमण तेजी से बढ़ा है. इसकी प्रमुख वजह मरीजों की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जिससे उनका शरीर कई तरह के संक्रामक रोगों से लड़ने में असक्षम होता है. रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी पॉजिटिव लोगों को आगे आकर अपनी पूरी जांच करानी चाहिए ताकि क्षय रोग के संक्रमण की पुष्टि की जा सके.
टीबी से ग्रसित मरीजों को हो सकती हैं कई स्वास्थ्य समस्याएँ:
सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार टीबी संक्रमण शरीर के कई अंगों को अपनी चपेट में लेकर बुरी तरह से प्रभावित करता है. रीढ़ की हड्डी में दर्द और शरीर में जकड़न अनुभव करना, शरीर के जोड़ों में असहनीय दर्द का रहना और लिवर और किडनी की क्षमता प्रभावित होना गंभीर टीबी संक्रमण के कारण नजर आने वाले प्रमुख लक्षण हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि मष्तिष्क की कोशिकाओं का फूलना जो आगे चलकर मष्तिष्क के टीबी में परिवर्तित होता है भी संक्रमण का लक्षण है. कुछ मामलों में टीबी संक्रमण ह्रदय को भी प्रभावित करता है. एचआईवी पॉजिटिव मरीजों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण उनमे ये लक्षण जल्दी दिखाई देते हैं और मरीजों के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं.
दवा का पूरा कोर्स खाना जरूरी:
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. कुमारी गायत्री सिंह ने बताया कि टीबी का संक्रमण किसी को भी हो उसके उपचार के लिए दवा का पूरा कोर्स खाना जरूरी होता है. सरकारी अस्पताल और डॉट्स केंद्रों में इसका नि:शुल्क इलाज होता है. टीबी की दवा का अनियमित सेवन करना, बिना चिकित्सीय परामर्श के दुकानों से टीबी की दवा लेना एवं टीबी की दवा खाने से पहले ड्रग सेंसटिविटी जांच नहीं होने से भी एमडीआर टीबी होने की का संभावना बढ़ जाती है. सीबीनेट जैसी नई मशीन की सहायता से टीबी की जांच नि:शुल्क की जा रही है. टीबी पीड़ितों के बेहतर पोषण के लिए सरकार 500 रुपये की सहायता राशि भी दे रही है.