कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर पोषण वाटिका को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे जिला समन्वयक

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– जिले के सभी ऑगनबाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिका की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हैं प्रयासरत
– कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए उचित पोषण है बेहद जरूरी

खगड़िया-

कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर सरकार पूरी तरह सजग और कटिबद्ध है। साथ ही तरह-तरह के गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। इसी कड़ी को गति देते हुए समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पोषण का संदेश पहुँचाने में आईसीडीएस भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। वहीं, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर आईसीडीएस के एनएनएम के जिला समन्वयक अंबुज कुमार पोषण वाटिका थीम को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। जिले के सभी ऑगनबाड़ी केंद्र परिसर में पोषण वाटिका की सुविधा उपलब्ध हो, इसके लिए वह लगातार प्रयासरत हैं और उनके प्रयास का सकारात्मक प्रभाव भी दिख रहा है। उनका मानना है कि कुपोषण को मिटाने के लिए उचित पोषण सबसे बेहतर और आसान उपाय है। यह तभी संभव है जब लोगों को सही पोषण की जानकारी मिलेगी। जिसे गति देने के लिए वह दिन-रात जुटे हुए हैं। ताकि ऑगनबाड़ी में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों को उचित पोषण मिल सके और बच्चे कुपोषण से दूर रह सकें।

– पोषण वाटिका थीम को बढ़ावा देने को सेविकाओं को कर रहे हैं जागरूक :-
आईसीडीएस के एनएनएम के जिला समन्वयक अंबुज कुमार ने बताया कि पोषण वाटिका थीम को बढ़ावा देने के लिए जिले की सभी सेविकाओं को लगातार जागरूक किया जा रहा है। सेविकाओं को पोषण वाटिका की महत्ता, होने वाले फायदे आदि की जानकारी दी जा रही है। बताया कि जिले के सभी ऑगनबाड़ी केंद्र पोषण वाटिका की सुविधा से लैस हों , इसके लिए मैं खुद भी लगातार केंद्र विजिट कर सेविकाओं को जागरूक करता हूँ। ताकि ऑंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले बच्चों को उचित पोषण के लिए हरी साग-सब्जी एवं अन्य पौष्टिक आहार मिल सके । इससे ना सिर्फ बच्चे कुपोषण से दूर रहेंगे, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी जागरूकता आएगी और लोग उचित पोषण की महत्ता को समझ सकेंगे।

– सेविका के साथ-साथ आमलोगों को भी करते हैं जागरूक, देते हैं उचित पोषण की जानकारी :-
जिला समन्वयक अंबुज कुमार ने बताया कि वह केंद्र भ्रमण के दौरान सेविका के साथ-साथ संबंधित ऑगनबाड़ी केंद्र के पोषक क्षेत्र के लोगों को भी पोषण का संदेश देकर उचित पोषण की जानकारी देते है । खासकर महिलाओं को प्राथमिकता के तौर पर वह कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए जागरूक करते हैं । इसका सकारात्मक प्रभाव यह है कि ग्रामीण स्तर के लोगों में उचित पोषण के प्रति काफी जागरूकता आई है और जब भी पोषण से संबंधित किसी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन होता है तो उसमें बड़ी संख्या में आमलोग भी उत्साह के साथ भाग लेते और पोषण की महत्ता को समझते और उनका पालन भी करने लगे हैं।

अंबुज कुमार ने बताया कि इस दौरान पोषण वाटिका थीम पर बल देते हुए इसके तरीके की भी जानकारी देता हूँ । यह बताया जाता है कि पोषण वाटिका में वह साग-सब्जी को ही लगाने को प्राथमिकता दें। जिससे हमारे शरीर को उचित पौष्टिक आहार मिल सके । ताकि हम कुपोषण से दूर रह सकें।

– गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को भी देते हैं पोषण की जानकारी :-
जिला समन्वयक अंबुज कुमार ने बताया कि कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर वह गर्भवती और धातृ महिलाओं को उचित पोषण की जानकारी देते हैं । जिसमें समय पर खाना खाने, गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर चिकित्सकों से जाँच कराने, उचित खानपान, पौष्टिक आहार का सेवन करने आदि की जानकारी दी जाती है । साथ ही सेविका को भी गृह भ्रमण कर घर-घर जाकर खासकर गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को उचित पोषण की जानकारी, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ आदि का संदेश देने के लिए प्रेरित करता हूँ। क्योंकि, कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण सभी के सहयोग से ही संभव है।

– कुपोषण मुक्त समाज के निर्माण के लिए उचित पोषण जरूरी :-
जिला समन्वयक कुमार ने कहा कि कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। यह तभी होगा जब लोगों को सही पोषण की जानकारी होगी। इसके लिए तमाम गतिविधियाँ का आयोजन कर लोगों को उचित और संतुलित पोषण की जानकारी दी जा रही है। लोगों को पोषण मिटाने के लिए रहन-सहन, खानपान समेत अन्य दिनचर्या में होने वाले बदलाव की जानकारी दी जा रही है। जैसे कि, बच्चों के जन्म के बाद छः माह तक सिर्फ माँ का दूध, छः माह के बाद कम से कम दो वर्षों तक माँ के दूध के साथ-साथ संतुलित और पौष्टिक आहार देने की जानकारी दी जा रही है। लोगों को पोषण के महत्व की जानकारी देने के दौरान पोषण के पाँच सूत्र पर बल दिए जाते हैं। जिसमें बच्चों को जन्म के बाद पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक आहार, एनीमिया प्रबंधन, डायरिया रोकथाम एवं स्वच्छता को शामिल किया गया है। ताकि समाज का प्रत्येक वर्ग पोषण की जरूरत को समझ सके।