कोरोना टीकाकरण के साथ साथ हो  रहा है गर्भवती  और नवजात शिशुओं का नियमित टीकाकरण

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– नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है  नियमित टीकाकरण
–  संस्थागत प्रसव को लेकर भी गर्भवती महिलाओं को किया जाता है जागरूक
मुंगेर, 3 जून-
  जिला में नियमित रूप से कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा है। इस दौरान 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन की  प्रीकॉशन डोज़ दी  जा रही  है। इसके साथ- साथ गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं का भी लगातार नियमित टीकाकरण कराया जा रहा है,  ताकि गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं का ससमय नियमित टीकाकरण सुनिश्चित हो सके और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल सके। इसे सार्थक रूप देने के लिए जिला के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर वीएचएसएंडएन दिवस पर प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को नियमित टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा जिला के प्रत्येक पीएचसी, सीएचसी  सहित सभी स्वास्थ्य संस्थानों में नियमित टीकाकरण की व्यवस्था  है। इन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए संबंधित क्षेत्र की एएनएम द्वारा सेविका एवं आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं का नियमित टीकाकरण किया जा रहा है।
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए नियमित तौर पर टीके दिए जाते हैं । मुख्य रूप से तपेदिक (टी.बी), डिप्थीरिया, परटूसिस (काली खांसी), टेटनस, खसरा (मिजल्स) तथा पोलियो (पोलियोमाइटिस) जैसी बीमारियों से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं का नियमित टीकाकरण किया जाता है ताकि भविष्य में इन बीमारियों से इन्हें बचाया जा सके । विभिन्न प्रकार के टीका के नियमित रूप से दिए गए पर्याप्त खुराक के बाद नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को प्रतिरक्षित किया जा सकता है ताकि आने वाले दिनों में वो इन घातक या अपंग करने वाली बीमारियों से काफी हद तक बच सके।
– गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि  सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने एवं शिशु के स्वस्थ्य शरीर के निर्माण के लिए नियमित टीकाकरण बेहद जरूरी है। इसलिए जिला में कोविड के साथ-साथ नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का भी आयोजन कर योग्य लाभार्थी का नियमित टीकाकरण किया जा रहा है ताकि ससमय नियमित टीकाकरण भी सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण के दौरान शून्य से दो वर्ष तक के बच्चों को बीसीजी, ओपीवी, पेंटावेलेंट, रोटा वैक्सीन, आईपीवी, मिजल्स, विटामिन ए, डीपीटी बूस्टर डोज, मिजल्स बूस्टर डोज और बूस्टर ओपीवी के टीके लगाए जाते हैं। गर्भवती को टेटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका भी लगाया जाता है। नियमित टीकाकरण बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई गंभीर बीमारी से बचाव करता है। इसके साथ ही प्रसव के दौरान जटिलताओं से सामना करने की भी संभावना नहीं के बराबर रहती है।
– संस्थागत प्रसव को लेकर भी किया जाता है जागरूक :
उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण के दौरान गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार वालों को संस्थागत प्रसव को लेकर भी जागरूक किया जाता है। इस दौरान यह बताया जाता है कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव के दौरान सुरक्षा के हर मानकों का ख्याल रखा जाता है। यहां योग्य एवं प्रशिक्षित एएनएम द्वारा चिकित्सकों की मौजूदगी में प्रसव कराया जाता है। इसलिए, सुरक्षित और सामान्य प्रसव को अपनाने के लिए संस्थागत प्रसव को ही प्राथमिकता देने की जरूरत है।
नियमित टीकाकरण की शत प्रतिशत सफ़लता के लिए समय- समय पर किया जाता है प्रचार प्रसार :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि बच्चों को नियमित रूप से दिए जाने वाले टीकाकरण की शत प्रतिशत सफलता के लिए राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ (एआईएच) के द्वारा प्रचार- प्रसार किया जाता है। इसके अलावा सीफार के माध्यम  से भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के बीच  जागरूकता लाने में सीफार का  महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके साथ ही ज़िले में यूनिसेफ, केयर इंडिया, यूएनडीपी, डब्ल्यूएचओ के सहयोग से चलाये जा रहे नियमित टीकाकरण जैसे- जन्म के तुरंत बाद बीसीजी, हेपेटाइटिस, पोलियो, रोटा, पीसीवी, खसरा के साथ ही विटामिन ए की खुराक भी नियमित रूप से लेना आवश्यक होता है।