जीविका सदस्यों का दो दिवसीय टीबी बीमारी पर प्रशिक्षण शुरू

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– कहलगांव प्रखंड के ओरियप पंचायत स्थित मध्य विद्यालय में जीविका ग्राम संगठन के सदस्यों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
– कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से दिया जा रहा है प्रशिक्षण

भागलपुर, 05 मई-

कहलगांव प्रखंड के ओरियप पंचायत स्थित मध्य विद्यालय ओरियप में गुरुवार से जीविका सदस्यों को कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से दो दिवसीय परिप्रेक्ष्य (टीबी) प्रशिक्षण का शुभारंभ हो गया। जिसका समापन शुक्रवार को होगा। प्रशिक्षण में जीविका के ग्राम संगठन के कुल 32सदस्यों और एक सामुदायिक समन्वयक ने भाग लिया। मौजूद सभी सदस्यों को प्रशिक्षक धीरज कुमार मिश्रा और संदीप कुमार द्वारा टीबी उन्मूलन से संबंधित आवश्यक जानकारी विस्तार पूर्वक दी गई। साथ ही कहानी, खेल और गतिविधि आदि विधियों का प्रयोग करते हुए टीबी उन्मूलन में सहयोग करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार किया गया। इसके अलावा टीबी कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की विस्तृत जानकारी देते हुए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए जरूरी टिप्स दिये गये।

केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान दीदियों को बताया गया कि अगर आपके स्वयं सहायता समूह या पड़ोस में किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक जागरूकता से ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। जीविका दीदियां अपने स्वयं सहायता समूह के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी जागरूक करेंगी तो हम समाज से टीबी बीमारी को खत्म कर सकते हैं। मौके पर कृष्णा कुमारी, संदीप कुमार, श्वेता कुमारी और मिथिलेश झा मौजूद थे।

– ज्यादातर मामले घनी आबादी वाले इलाके में- जीविका दीदियों को बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चल रहा है। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है। टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो लोगों को तत्काल इलाज कराने के लिए कहें। टीबी का अगर कोई इलाज नहीं कराता है तो यह बीमारी कई लोगों में जा सकता है। एक के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा।

पौष्टिक भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।