टीबी के मरीज समय पर दवा का करें सेवन

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–किसी दूसरे लोगों में टीबी के लक्षण दिखे तो उसे जांच के लिए सरकारी अस्पताल लेकर जाएं
-केएचपीटी और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से जिला यक्ष्मा केंद्र में टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की हुई बैठक
भागलपुर-
जिला यक्ष्मा केंद्र में बुधवार को स्वास्थ्य विभाग और कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के सहयोग से टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक आयोजित की गई। इसमें 12 टीबी के मरीज, 11  देखभाल करने वाले, सीडीओ डॉ. दीनानाथ, एसटीएस, डीईओ, सीसी (डीटीसी) समेत कई अन्य लोग भी मौजूद थे। मौके पर सीडीओ डॉ. दीनानाथ ने टीबी के सभी मरीज से बात और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। साथ ही टीबी मरीजों को समय पर दवा खाने और किसी अन्य लोगों में इस तरह के लक्षण दिखते हैं तो उन्हें जांच के लिए सरकारी अस्पताल भेजने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर लोगों में टीबी के लक्षण दिखते हैं तो उन्हें डरना नहीं चाहिए, बल्कि जागरूक होकर समय पर इलाज कराना चाहिए। इससे टीबी से वे जल्द उबर जाएंगे और बीमारी का प्रसार भी नहीं हो सकेगा।
टीबी से बचाव के लिए पौष्टिक आहार जरूरीः डॉ. दीनानाथ ने कहा कि टीबी से बचाव के लिए लोगों को पौष्टिक आहार पर जोर देना चाहिए। सरकारी अस्पताल में इलाजरत टीबी के मरीजों में पौष्टिक आहार के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रतिमाह की राशि भी दी जाती है। यह राशि टीबी मरीजों को इलाज होने तक दी जाती है। इसलिए टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार के सेवन जरूर करना चाहिए। टीबी होने का बड़ा कारण पौष्टिक आहार का नहीं लेना भी है। इसलिए टीबी के मरीज तो पौष्टिक आहार ले हीं। साथ में दूसरे लोगों को भी पौष्टिक आहार लेने के लिए जागरूक करें।
इलाज जल्द शुरू होने से जल्द होंगे ठीकः जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ ने कहा कि सरकारी अस्पताल में टीबी मरीजों की जांच और इलाज की व्यवस्था मुफ्त है। इसलिए अगर लोगों को टीबी के लक्षण पता चले तो हिचक नहीं करना चाहिए। तत्काल जांच के लिए सरकारी अस्पताल आना चाहिए। जांच में पुष्टि हो जाने के बाद तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा। जल्द इलाज शुरू होने से जल्द ठीक भी हो जाते हैं। इसलिए अगर किसी को लगातार दो हफ्ते तक खांसी आए, बलगम के साथ खून आए, लगातार बुखार रहे या फिर शाम के वक्त ज्यादा पसीना आए तों जांच कराने के लिए तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं।