टीबी के लक्षण दिखे तो घबराए नहीं, इलाज कराएं

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विश्व टीबी दिवस आज-
इस बीमारी को लेकर सामाजिक भेदभाव खत्म करने की जरूरत
साल 2025 तक टीबी को खत्म करने का रखा गया है लक्स

बांका, 23 मार्च

आज बुधवार को विश्व टीबी दिवस मनाया जायेगा. इस बार का थीम द क्लॉक ईज टीकिंग है यानी कि समय खत्म होता जा रहा है. टीबी को लेकर जो लक्ष्य रखा गया है, उस पर जल्द से जल्द काम करने की जरूरत है. आज जगह-जगह कार्यक्रम होंगे , रैली निकाली जाएगी. इसके जरिए लोगों को टीवी के प्रति जागरूक किया जायेगा. दरअसल, टीबी जैसी गंभीर बीमारी को लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है. लोग अगर सही समय पर अपना इलाज करा लें तो इस बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है. शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि विश्व टीबी दिवस मनाने का मकसद ही है लोगों को इस बीमारी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना. टीबी एक संक्रामक बीमारी है. एक-दूसरे से फैलने का खतरा रहता है. इस वजह से अगर किसी को टीबी हो जाता है तो लोग उससे दूरी बना लेते हैं. यहां तक कि छूने से भी बचते हैं और उसके साथ रहने से डरते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. छूने से टीवी नहीं होता और इसके इलाज कराने में लोगों को मदद करनी चाहिए.

टीबी का इलाज बिल्कुल मुफ्त है: डॉ चौधरी कहते हैं कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज बिल्कुल ही मुफ्त में होता है. इसलिए अगर किसी को टीबी के लक्षण दिखे तो तत्काल जांच करवा लें. जांच में पुष्टि हो जाने पर डॉक्टर 6 महीने तक की दवा देंगे. 6 महीने बाद दोबारा आप फिर से जांच करवा लें. जांच में अगर निगेटिव आ गए तो फिर आप पूरी तरह से स्वस्थ हो गए.

बीच में दवा नहीं छोड़ें: डॉ चौधरी कहते हैं कि टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़नी चाहिए. ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने की संभावना हो जाती है. एमडीआर टीबी हो जाने पर उससे मुक्त होने में और अधिक समय लगता है. उसका इलाज और भी जटिल हो जाता है. इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़े. 2025 तक टीबी मुफ्त होना है. इसके लिए इलाज कराना बहुत जरूरी है.

2 हफ्ते तक लगातार खांसी हो तो जांच करवाएं: डॉ चौधरी ने बताया कि 2 सप्ताह तक लगातार खांसी हो, साथ में बलगम में खून आए तो यह टीबी के लक्षण हैं. अगर ऐसा हो तो नजदीकी अस्पताल में जाकर जांच करा लें. इसके अलावा शाम को पसीने के साथ बुखार आना व कमजोरी होना भी टीबी के लक्षण हैं. कई बार तो बिना लक्षण वाले मरीज भी सामने आते हैं. इसलिए अगर टीबी के लक्षण दिखे तो अपना इलाज करवा लें.

साथ रहने और छूने से नहीं होता है टीबी: डॉ चौधरी कहते हैं टीबी एक संक्रामक रोग है, लेकिन साथ रहने और छूने से यह बीमारी नहीं होती है. इस बीमारी को लेकर सामाजिक जो भेदभाव होता है उसे बंद करने की जरूरत है.अगर किसी को यह बीमारी हो जाए तो उसे इलाज में मदद करनी चाहिए. आशा कार्यकर्ता को इसकी सूचना देनी चाहिए, ताकि उसका इलाज हो सके