नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम: शिशु मृत्यु दर को कम करने को ले जिलाभर की 32 एएनएम को दिया गया प्रशिक्षण 

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: इंडियन एसोसियेशन ऑफ पीडियाट्रिक , जिला स्वास्थ्य समिति और  पाथ के संयुक्त तत्वावधान में एएनएम का प्रशिक्षण
: प्रशिक्षण  में हिस्सा ले रही हैं  जिला के सभी सीएचसी और पीएचसी की  एएनएम
खगड़िया-
नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत शिशु मृत्यु दर को सिंगल डिजिट में लाने के उद्देश्य से जिलाभर से आई एएनएम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उक्त बात बुधवार को खगड़िया सदर अस्पताल परिसर स्थित नवनिर्मित फेब्रिकेटेड हॉस्पिटल में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला के सिविल सर्जन डॉ अमिताभ सिन्हा ने कही। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल सहित विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाले प्रसव के पश्चात करीब 10% नवजात शिशुओं के लिए कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेंशन (सीपीआर) आवश्यक होता है। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने वाली एएनएम को प्रसव के पहले और पश्चात आने वाली जटिलताओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें बताया जा रहा है कि प्रसव के पश्चात तत्काल नवजात शिशु की धड़कन की गति, सांस लेने की गति के साथ यह देखना आवश्यक होता है कि जन्म के बाद शिशु रोया या नहीं। उन्होंने बताया कि प्रसव के पश्चात नवजात शिशु की धड़कन 100 से ऊपर और सांस लेने की गति 30- 40 के करीब होना चाहिए । प्रसव के बाद शिशु यदि देर से रोता है तो चमकी सहित अन्य परेशानी होने का खतरा रहता है।
इंडियन एसोसियेशन ऑफ पीडियाट्रिक (आईएपी), जिला स्वास्थ्य समिति और डेवलपमेंट पार्टनर प्रोग्राम फॉर अप्रोप्रिएट टेक्नोलॉजी इन हेल्थ (पाथ) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है प्रशिक्षण।
जिला स्वास्थ्य समिति खगड़िया के जिला कार्यक्रम प्रबंधक डीपीएम प्रभात कुमार राजू ने बताया कि इंडियन एसोसियेशन ऑफ पीडियाट्रिक , जिला स्वास्थ्य समिति और डेवलपमेंट पार्टनर प्रोग्राम फॉर अप्रोप्रिएट टेक्नोलॉजी इन हेल्थ (पाथ) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन बुधवार को जिलाभर से आई कुल 32 एएनएम ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से जिला भर के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव का कार्य करने वाली एएनएम को प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं और बाधाओं से निपटने के लिए दक्ष बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि रेफरल मामलों में कमी आए और जिला मुख्यालय में कार्यरत एसएनसीयू में भर्ती होने वाले कमजोर नवजात शिशुओं की संख्या में कमी हो । इसके साथ ही नवजात शिशु मृत्यु दर को कम से कम किया जा सके । उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने सन 2009 में नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया ताकि प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा का सही तरीके से देखभाल करने वाले डॉक्टर और नर्सों का क्षमतावर्धन किया जा सके ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में पाथ संस्था के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद डॉ चंदन और सिद्धांत कुमार ने बताया कि आज के प्रशिक्षण कार्यक्रम में  आईएपी की प्रतिनिधि के रूप में आई डॉ नीता कलवानी और डॉ सुमन मिश्रा की देखरेख में  सभी एएनएम को तीन अलग- अलग ग्रुप में बांट कर सभी तकनीकी पहलुओं की बारीकी से जानकारी दी गई। इस अवसर पर सदर अस्पताल खगड़िया की डॉ शशिबाला ने प्रशिक्षक के रूप में सभी एएनएम को प्रशिक्षण दिया । उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य के सभी 38 जिलों में तीन चरणों में दिया जाना है। प्रशिक्षण के पहले चरण में मेडिकल ऑफिसर, दूसरे चरण में स्टाफ नर्स और तीसरे चरण में बुधवार को एएनएम को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य समिति खगड़िया की जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) हेमलता जोशी सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे ।