-सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के बाद मिथुन कुमार गोस्वामी आज जी रहे स्वस्थ जीवन
-धोरैया के कचराती के मिथुन को जांच-इलाज में नहीं लगा पैसा, पोषण के लिए राशि भी मिली
बांका-
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज को लेकर कितनी बेहतर सुविधाएं हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निजी अस्पताल के कर्मी भी अब मरीज को बेहतर इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दे रहे हैं। जी हां, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं। जिले के धोरैया प्रखंड के कचराती गांव के रहने वाले मिथुन कुमार गोस्वामी दो साल पहले टीबी की चपेट में आ गए थे। इसके इलाज के लिए वह पड़ोस के झारखंड के गोड्डा जिले गए। वहां पर निजी अस्पताल में कुछ दिनों तक इलाज करवाया, लेकिन सुधार नहीं हुआ। इससे वह काफी चिंतित रहने लगे। एक दिन इलाज के क्रम में ही उनकी बातचीत निजी अस्पताल के एक कर्मी से हुई। उस ईमानदार कर्मी ने मिथुन को सरकारी अस्पताल में जाकर इलाज कराने की सलाह दी।
इसके बाद मिथुन इलाज कराने के लिए बांका जिला यक्ष्मा केंद्र आ गए। यहां पर उनकी मुलाकात जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय से हुई। उन्होंने मिथुन की मुलाकात डीपीएस गणेश झा से कराई। इसके बाद दोनों ने मिलकर पहले उसे मानसिक तौर पर समझाया। उसे भरोसा दिलाया कि नियमित तौर पर दवा का सेवन करने के बाद आप पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे। इसके बाद मिथुन का इलाज शुरू हुआ। तकरीबन एक वर्ष तक इलाज चला, जिसके बाद मिथुन पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। आज मिथुन न सिर्फ स्वस्थ जीवन जी रहा है, बल्कि लोगों को टीबी के प्रति जागरूक भी कर रहा है।
टीबी मरीजों को सरकारी अस्पताल जाने की दे रहा सलाहः मिथुन कहते हैं कि टीबी होने के बाद पहले तो मैं डर गया था, लेकिन धन्यवाद उस निजी अस्पताल के कर्मी को जिसने मुझे सरकारी अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी। इसके बाद राजदेव राय जी और गणेश झा ने तो मेरे जीवन में खुशियां ही ला दी। एक साल तक मेरा इलाज चला। इस दौरान मुझसे जांच, इलाज और दवा का कोई पैसा नहीं लिया गया। साथ ही जब तक इलाज चला, पोषण के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह मुझे मिला भी। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ्य हूं। साथ ही आसपास के लोगों को टीबी के प्रति जागरूक भी कर रहा हूं। अगर कोई टीबी का मरीज मिल जाता है तो उसे सरकारी अस्पताल में जाकर इलाज कराने की सलाह देता हूं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज को लेकर बेहतर सुविधाः जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज को लेकर बेहतर सुविधा है, अब इस बात की तस्दीक निजी अस्पताल वाले भी कर रहे हैं तो यह बहुत ही अच्छी बात है। इससे मरीज को बेहतर इलाज तो मिलेगा ही, साथ में उनका आर्थिक नुकसान भी कम होगा। मिथुन को इसका फायदा मिला। मुझे खुशी है कि जिला यक्ष्मा केंद्र में आकर मरीज इलाज कराने के बाद स्वस्थ्य हो रहे हैं।