नियमित टीकाकरण से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है मजबूत

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-टीका नहीं लेने वाले बच्चे जल्द आ जाते हैं बीमारियों की चपेट में
-टीका लेने वाले बच्चे कम ही आते हैं गंभीर बीमारियों की चपटे में
बांका, 11 जुलाई।
अभी कोरोना काल चल रहा है। इस समय टीकाकरण का महत्व लोग बेहतर तरीके से समझ रहे हैं। जो लोग कोरोना का टीका ले चुके हैं, वे इससे बचे हुए हैं। लेकिन जिनलोगों ने कोरोना का टीका नहीं लिया है, उन्हें कोरोना की चपेट में आने का खतरा अधिक है। टीका लेने वाले अगर कोरोना की चपेट में आ भी जाते  तो वह इससे आसानी से उबर जा रहे हैं। इसी तरह नियमित टीकाकरण जरूरी है। जिन गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों को नियमित टीकाकरण की सभी खुराक लग जाती है तो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो जाती है। वह जल्दी बीमारी की चपेट में नहीं आता है। अगर बीमारी की चपेट में आ भी जाता है तो वह उससे जल्द उबर जाता है। लेकिन जिन गर्भवती महिलाओं और बच्चों का नियमित टीकाकरण नहीं हो पाता है तो  बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी मजबूत नहीं होती है। वह किसी भी बीमारी की चपेट में जल्द आ जाताऔर उससे उबरने में भी उसे परेशानी होती है। इसलिए बच्चों का नियमित टीकाकरण जरूर करवाएं। एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी है। इससे न केवल गंभीर बीमारी से बचाव होता है, बल्कि सुरक्षित और सामान्य प्रसव को भी बढ़ावा मिलता है। बच्चों का शारीरिक विकास भी बेहतर तरीके से होता है। इसलिए जिले के सभी लाभार्थियों से कहना चाहता हूं कि जो नियमित टीकाकरण नहीं करा पाएं हैं, वह अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्रों या फिर अस्पतालों पर जाकर निश्चित रूप से टीकाकरण कराएं। नियमित टीकाकरण पर जोर देते हुए डॉ. चौधरी कहते हैं कि नियमित टीकाकरण एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कायर्क्रम है जो गर्भवती महिलाओं से आरंभ होकर शिशु को पांच साल तक नियमित रूप से दिये जाते हैं। ये टीके शिशुओं को कई प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं। शिशुओं को दिया जाने वाला टीका शिशुओं के शरीर में जानलेवा संबंधित बीमारियों से बचने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित और मजबूती प्रदान करते हैं। इस प्रकार कई तरह की  जानलेवा बीमारियों से शिशुओं को बचने के खास टीके विकसित किये गये हैं, जिनका टीकाकरण करवाना आवश्यक है।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर होता है नियमित टीकाकरणः नियमित टीकाकरण का आयोजन जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर सप्ताह बुधवार और शुक्रवार को होता है। जरूरत पड़ने पर अन्य दिन भी टीकाकरण किया जाता है। इसके माध्यम से दो वर्ष तक के बच्चों को टीके लगाए जाते हैं। नियमित टीकाकरण बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई गंभीर बीमारियों से बचाव करता है। साथ ही प्रसव के दौरान जटिलताओं से सामना करने की भी संभावना नहीं के बराबर रहती है। गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण होने से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिलता है।
ये हैं जरूरी टीके:
जन्म होते ही – ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी
डेढ़ महीने बाद – ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
ढाई महीने बाद – ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
साढ़े तीन महीने बाद – ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
नौ से 12 माह में – मीजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
16 से 24 माह में:
मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2
ये भी हैं जरूरी:
5 से 6 साल में – डीपीटी बूस्टर 2
10 साल में – टिटनेस
15 साल में – टिटनेस
गर्भवती महिला को – टेटनेस 1 या टेटनेस बूस्टर