प्रखंड स्तर पर महिला पर्यवेक्षिका और घर- घर जाकर लोगों को पोषण के प्रति परामर्श देंगी आंगनबाड़ी सेविका : डीएम

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– जिला समाहरणालय स्थित महिला सशक्तिकरण केंद्र के प्रांगण में डीएम ने किया जिला पोषण परामर्श केंद्र का उद्घाटन
– एनएफएचएस के आंकड़ों के अनुसार जिले में कुपोषित बच्चों के प्रतिशत दर में आई है 7. 9 प्रतिशत की कमी

लखीसराय-

प्रखंड स्तर पर बनाए गए परामर्श केंद्र में आने वाले लोगों को महिला पर्यवेक्षिका पोषण के प्रति जागरूकता को ले उचित परामर्श देंगी । इसी तरह विभिन्न पंचायत में बनाए गए आंगनबाड़ी केंद्र के आसपास के घरों में जाकर आंगनबाड़ी सेविकाएं लोगों को पोषण के प्रति उचित परामर्श देंगी । उक्त बातें सोमवार को जिला समाहरणालय स्थित महिला सशक्तिकरण केंद्र के प्रांगण में पोषण परामर्श केंद्र का उद्घाटन करते हुए जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने कही। उन्होंने बताया बहुत जल्द जिले के सभी प्रखण्डों में कार्यरत सीडीपीओ कार्यालय में पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना की जाएगी जहॉं क्षेत्र में कार्यरत महिला पर्यवेक्षिका सभी लोगों को कुपोषण से मुक्ति के लिए आवश्यक परामर्श देंगी। इस अवसर पर जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने पोषण परामर्श केंद्र का उद्घाटन करने के साथ ही पीएमएमवी योजना के लाभुकों को मातृ उपहार किट और आंगनबाड़ी सेविकाओं में सैनिटेशन किट का वितरण किया। मौके पर आईसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी कुमारी अनुपमा सहित जिले के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और जिला समाहरणालय के कर्मचारी मौजूद थे।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्यय सर्वे 5 2019 – 20 के आंकड़ों के अनुसार जिले में बच्चों में कुपोषण प्रतिशत दर में आई 7.9 प्रतिशत की कमी :
आइसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी कुमारी अनुपमा ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 5 2019 – 20 के आंकड़ों के अनुसार जिले में बच्चों के कुपोषण दर में 7.9 प्रतिशत की कमी आई है। बताया कि एनएफएचएस 4 2004 – 2005 में जिले में बच्चों का कुपोषण दर 50.6 प्रतिशत था जो एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार घटकर 42.7 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष कुपोषण दर को 2 प्रतिशत घटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

उन्होंने बताया कि जिला पोषण परामर्श केंद्र, प्रखंड पोषण परामर्श केंद्र के साथ घर- घर जाकर आंगनबाड़ी सेविकाएं गर्भवती महिलाओं, धातृ महिलाओं के अलावा 0 से लेकर छह वर्ष तक के बच्चों की माताओं को खुद को और अपने गर्भस्थ शिशु के साथ ही 0 से 06 वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए पोषक तत्वों से युक्त भोजन करने के साथ ही जन्म से लेकर छह महीने तक के सभी बच्चों को सिर्फ और सिर्फ अपना स्तनपान कराने की ही सलाह देती हैं । इसके साथ ही छह महीने की आयु पूरी कर चुके बच्चों को मां के स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार के रूप में पोषक तत्वों से युक्त खाना खिलाने की सलाह देती हैं।