राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम- जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थान में उपलब्ध है कुष्ठ का इलाज 

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– कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम में होती है आशा की महत्वपूर्ण भूमिका
-कुष्ठ रोग अन्य बीमारी से है कम संक्रामक
लखीसराय-
कुष्ठ रोग का नाम सुनते ही में जेहन में एक विकृत सा आकार उभर कर सामने आता है।   ये रोग बहुत ही कम संक्रामक होता है जो मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता। .यह मुख्य रूप से त्वचा एवं तंत्रिकाओं को  प्रभावित करता है।  . यह रोग धीरे -धीरे बढ़ता  और लगभग तीन वर्ष के बाद संक्रमण का लक्षण प्रत्यक्ष  रूप से दिखने लगता है।  . कुष्ठ रोग किसी भी आयु के स्त्री ,पुरुष या फिर बच्चों को हो सकता है।  .
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 1955 में ही बनाया गया था।  वर्ष 1983  में इस कार्यक्रम का नाम बदलकर राष्ट्रीय  कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम कर दिया गया।  इस कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य कुष्ठ रोग के आरंभिक लक्षण को चिह्नित  करने के साथ जन -जागरूकता बढ़ाना और इस रोग के बारे में भ्रम को दूर करना।  .
जिला के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अशोक  कुमार भारती ने बताया कि  कुष्ठ रोग दो प्रकार का होता है। जिसे एमबी और पीबी कहा जाता है।  , इस  रोग का  बहुऔषधीय  इलाज  होता है।  .एमबी कुष्ठ के इलाज  के लिए  एमबी एमडीटी 12 महीने तक खाना होता है।  . 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए एमबी चाइल्ड एमडीटी  और 14 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए  एमबी एडल्ट एमडीटी दी जाती है।  साथ ही पहली खुराक के रूप में
[सुपरवाइजड  डोज़ } दिया जाता है।  . उसके बाद  दिए दिशा -निर्देश के अनुसार खाना  होता है। उन्होंने  बताया कि  जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थान में कुष्ठ का इलाज . उपलब्ध है।
पीबी कुष्ठ के लिए पीबी एमडीटी  जो 6 महीने की अवधि तक खाना होता है।  इसमें भी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पीबी चाइल्ड एमडीटी  और 14 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए  पीबी एडल्ट एमडीटी दी जाती है । साथ ही पहली खुराक के रूप में , [सुपरवाइजड  डोज़ } दिया जाता है।  . उसके बाद  दिए दिशा -निर्देश  के अनुसार  खाना होता है।  .
राष्ट्रीय  कुष्ठ उन्मूलन  कार्यक्रम में आशा की भूमिका :
• अपने क्षेत्र के सभी लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक करना एवं इसके लक्षण  के विषय में बताना .
• अपने नियमित कार्यों के दौरान या किसी विशेष अभियानों के समय `अपने क्षेत्र में कुष्ठ रोग के लक्षण वाले लोगों की   पहचान करना .
• अगर किसी  व्यक्ति  या बच्चे में इस रोग के लक्षण  दिखने पर पास के सरकारी स्वास्थ्य संस्थान  में रोग की पुष्टि हेतु , रोगी को अस्पताल तक  ले जाना।  .
• जिस रोगी का इलाज  हो रहा है उसे दवाई दिलवाने में सहायता  करना व  साथ ही दवा खाने के लिए प्रेरित करना । .
• कुष्ठ रोग की  जटिलताओं के बारे में अवगत करना एवं उसकी  देखभाल के लिए उचित सलाह देना।  .
कुष्ठ रोग के लक्षण को इस प्रकार पहचानें :
• त्वचा के रंग से हल्के रंग के लाल अथवा तांबे के रंग के दाग .
• त्वचा पर लाल रंग के उभरे हुए ,सूजन  वाले धब्बे .
• बाँह , कोहनी ,हाथ ,घुटने एवं पंजे की  तंत्रिकाओं में सूजन  ,मोटापन ,झनझनाहट के साथ दर्द होना .
• हथेली या पैर के तलवे में सुन्नता .गर्म ,ठंडा ,दर्द या दबाव  का आभास  नहीं होना .
• आँख में लालपन ,पानी आना
• दृष्टि  धुंधला  होना ,पलक बंद न होना
• नाक की हड्डी गलने से नाक का दब जाना।