– जच्चा-बच्चा दोनों को परेशानियों का करना पड़ सकता है सामना
– समय से पूर्व प्रसव होने पर शिशु रहता है बेहद कमजोर, इसलिए उचित इलाज जरूरी
खगड़िया, 30 जून-
गर्भधारण के साथ ही हर महिला में ससमय सामान्य एवं सुरक्षित प्रसव होने की पहली चाहत होती और गर्भावस्था के दौरान मन में तरह-तरह के सवाल के साथ खुशियाँ भी रहती हैं । हालाँकि, इस दौरान थोड़ी सी अनदेखी और लापरवाही बड़ी मुश्किल बन जाती और महिलाओं को तरह-तरह की परेशानियाँ का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी ही एक परेशानी समय पूर्व प्रसव होना है, जो जच्चा-बच्चा दोनों के लिए परेशानी बन जाती है। हालाँकि, समय पूर्व प्रसव होने के कई कारण हैं। किन्तु सामान्यतः कमजोर महिलाएं खासकर इस दायरे में आ ही जाती और समय पूर्व प्रसव में जन्म लेने वाले शिशु भी बेहद कमजोर होते हैं। क्योंकि, समय पूर्व प्रसव होने के कारण शिशु गर्भ के दौरान मानसिक और शारीरिक रूप से संबल नहीं हो पाता है। इसलिए, ऐसी स्थिति में जच्चा-बच्चा की योग्य चिकित्सकों से तुरंत जाँच करानी चाहिए और चिकित्सा परामर्श के अनुसार ही इलाज कराएं। क्योंकि, ऐसे शिशु जन्म लेने के साथ कई तरह की समस्याओं से घिर जाते हैं। इसलिए, ऐसे शिशु के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए उचित और समुचित इलाज जरूरी है।
– कम उम्र में गर्भधारण से भी होता है समय पूर्व प्रसव :
सिविल सर्जन डाॅ अमरनाथ झा ने बताया, समय पूर्व प्रसव होने के कई कारण हैं। जैसे कि, माता का 40 किलोग्राम से कम वजन होना, शरीर में खून की कमी, गर्भावस्था के दौरान या प्रसव पूर्व ब्लीडिंग होना, गर्भाशय मुख का बेहद कमजोर होना आदि। इसलिए गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर चिकित्सकों से जाँच करानी चाहिए एवं उनके चिकित्सा परामर्श के अनुसार आवश्यक इलाज भी कराना चाहिए। हालाँकि, इसमें कम उम्र में गर्भधारण करना और गर्भावस्था के दौरान उचित खान-पान का सेवन नहीं करना आदि मुख्य कारण हैं। क्योंकि, ऐसी स्थिति में महिलाएँ काफी कमजोर हो जाती है। जिसके कारण सुरक्षित प्रसव नहीं हो पाता है।
– गर्भधारण के लिए सही उम्र होना जरूरी :
गर्भधारण के लिए महिलाओं का सही उम्र होना भी बेहद जरूरी है। क्योंकि, कम उम्र में गर्भधारण होने से हमेशा समय पूर्व प्रसव होने की संभावना बनी रहती है। जिससे महिलाओं को कई प्रकार की जटिल परेशानियों से जूझना पड़ जाता है। इसलिए, गर्भधारण के लिए महिलाओं का कम से कम 20 वर्ष का होना जरूरी है। इसलिए, इस उम्र में ही गर्भधारण कराना चाहिए। ताकि किसी प्रकार की अनावश्यक परेशानी उत्पन्न नहीं हो।
– प्रसव पूर्व समय-समय पर कराते रहें जाँच :
सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जाँच कराते रहना चाहिए। प्रसव पूर्व जाँच के लिए सरकार द्वारा पीएचसी स्तर पर भी मुफ्त जाँच की व्यवस्था की गई है। जहाँ हर माह नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की निःशुल्क जाँच होती और जाँचोपरांत आवश्यक चिकित्सा परामर्श दी जाती है।
– गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन, आयरन और कैल्सियम युक्त खाने का सेवन ज्यादा करना चाहिए :
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को प्रोटीन, आयरन और कैल्सियम युक्त खाने का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। इस दौरान दाल, पनीर, अंडा, पालक, सोयाबीन, नॉनवेज, गुड़, अनार, नारियल, चना, हरी सब्जी आदि का सेवन करना चाहिए। साथ ही व्यक्तिगत साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए।
– क्या है समय से पूर्व प्रसव :
37 हफ्ते के बाद होने वाले प्रसव को सामान्य एवं परिपक्व प्रसव कहा जाता है। किन्तु, इससे पूर्व प्रसव होने पर समय पूर्व प्रसव कहा जाता है। इस स्थिति माँ के साथ-साथ जन्म लेने वाले शिशु काफी कमजोर होते हैं और दोनों को कई तरह की परेशानियाँ का सामना करना पड़ जाता है। दरअसल, समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे मानसिक एवं शारीरिक रूप से तो बेहद कमजोर होते ही हैं। इसके अलावा ऐसे शिशु में स्तनपान के लिए माँ की छाती को चूसने एवं साँस लेने की क्षमता भी नहीं होती है। जिसके कारण बच्चे कई तरह की समस्याओं से घिर जाते हैं।