सरकारी अस्पताल में इलाज कराकर छात्र सुमित ने दी टीबी को मात

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-पहले निजी अस्पतालों का चक्कर काटते थे, लेकिन नहीं हुआ था सुधार
-पड़ोसी की सलाह पर जिला यक्ष्मा केंद्र गए और वहां से ठीक होकर लौटे
बांका, 14 जुलाई-
जिले के बौंसी प्रखंड के बभनगामा गांव के रहने वाले छात्र सुमित कुमार भागलपुर में रहकर पढ़ाई करते थे। अचानक सुमित की तबियत खराब रहने लगी। वह टीबी की चपेट में आ गया था। पहले तो बौंसी के एक निजी चिकित्सक को दिखाया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद वह इलाज कराने के लिए भागलपुर आया। भागलपुर में भी काफी समय तक इलाज करवाया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। थक-हारकर वह गांव में निराश रहने लगा। इसी दौरान उसे पड़ोस के रहने वाले एक व्यक्ति ने जिला यक्ष्मा केंद्र में डीपीएस गणेश झा से मिलने कहा। पड़ोसी की सलाह के बाद वह गणेश झा से मिलने गया। गणेश झा ने उसकी जांच करवाई, जिसमें उसके टीबी होने की पुष्टि हुई। इसके बाद उसका इलाज शुरू हुआ। कुछ समय तक इलाज चलने के बाद वह स्वस्थ हो गया।
सुमित कहते हैं कि मैं तो काफी चिंतित रहने लगा था। बौंसी और भागलपुर के बड़े-बड़े डॉक्टर मेरा इलाज नहीं कर पा रहे थे। मेरी तबीयत में कोई सुधार नहीं हो पा रहा था। इसके बाद मेरे पास कोई चारा भी नहीं बचा था। मैं गांव में चिंतित रहने लगा था। लेकिन इसी दौरान एक पड़ोसी ने मेरा मार्गदर्शन किया। मुझे डीपीएस गणेश झा जी मिलने की सलाह दी। मैं उनसे मिला। मुलाकात के दौरान ही उन्होंने मुझे आश्वस्त कर दिया था कि मैं जल्द ठीक हो जाउंगा। इसके बाद मेरा इलाज शुरू हुआ और दवा का नियमित तौर पर सेवन करते रहने से मैं ठीक हो गया। इस दौरान जांच और इलाज से लेकर दवा तक का एक भी रुपये मेरे से नहीं लिया गया। साथ ही जब तक इलाज चला, मुझे पांच सौ रुपये प्रतिमाह पौष्टिक आहार का सेवन करने के लिए भी मिला। ठीक होने के बाद भी अगर मुझे कोई परेशानी होती है तो मैं डीपीएस गणेश झा जी से मिलता हूं।
लोगों को नजरिया बदलने की जरूरतः सुमित कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों को नजरिया बदलने की जरूरत है। पहले मैं भी सोचता था कि जब निजी अस्पताल में इलाज कराने से मैं ठीक नहीं हो सका तो सरकारी अस्पताल में मेरा क्या इलाज होगा। लेकिन सरकारी अस्पताल में ही इलाज कराने के बाद मैं ठीक हो सका। जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि जिला यक्ष्मा केंद्र समेत जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की बेहतर व्यवस्था है। यहां से इलाज कराकर जिले के काफी मरीज ठीक हो रहे हैं। इसलिए अगर किसी को टीबी के लक्षण दिखाई दे तो बेहिचक इलाज के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र पहुंचे। यहां पर आपको जांच और इलाज के लिए कोई पैसा तो नहीं ही लगेगा। साथ ही दवा भी मुफ्त में मिलेगी। राशि भी मिलती है। और जो सबसे बड़ी बात है यहां पर लोगों की काउंसिलिंग भी बेहतर तरीके से की जाती है, जो कि टीबी के इलाज के दौरान बहुत मददगार साबित होती है।