महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य पर कार्यशाला आयोजित
राज्य में हर साल 12.5 लाख महिलाएं कराती हैं गर्भसमापन
बांका, 18 सितंबर
शनिवार को शहर के एक होटल में महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य पर कार्य कर रही संस्थाओं के साथ एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों को गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम (एमटीपी एक्ट)-1971 के बारे में जानकारी दी गई। इसमे बताया गया कि जिले में सुरक्षित गर्भसमापन पर आशा, एएनएम, जीविका दीदी एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं का उन्मुखीकरण किया गया है। अभी तक जिले की 273 आशा दीदी, 75 एएनएम, 51 जीविका दीदी और 109 आंगनवाड़ी सेविका का उन्मुखीकरण किया जा चुका है।
कार्यशाला में सेवा भारती के सचिव चंदन ने उपस्थित प्रतिभागियों को विषय वस्तु से अवगत कराया। उन्होंने बताया साझा प्रयास एक नेटवर्क है जो बिहार और उतर प्रदेश के 10-10 जिलों में 10-10 स्थानीय संस्था के साथ (एसआरएचआर) यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार, परिवार नियोजन एवं सुरक्षित गर्भपात पर कार्य कर रही है। उन्होंने इसके बारे में विस्तृत तौर पर जानकारी दी ।
आईपास डेवलपमेन्ट फाउंडेशन के राजीव ने उपस्थित प्रतिभागियों को एमटीपी एक्ट- 1971 कानून के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है, लेकिन 12 सप्ताह के अंदर एक प्रशिक्षित डॉक्टर एवं 12 सप्ताह से ऊपर और 20 सप्ताह के अंदर तक में दो प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में गर्भसमापन करना चाहिए। इस दौरान परिस्थिति क्या होनी चाहिए, इस पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही माहवारी के समय साफ-सफाई के संबंध में भी जानकारी दी गयी। उन्होंने सभी संस्था के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि आप अपने कार्य क्षेत्र में भी इस बिषय पर चर्चा कीजिये, ताकि असुरक्षित गर्भपात से होने वाली महिलाओं की मृत्यु एवं मातृ मृत्यु दर कम हो सके। राजीव ने बताया राज्य में हर वर्ष 12.5 लाख गर्भपात के केस सामने आते हैं और इनमे मात्र 8% सरकारी संस्थानों में कराये जाते हैं। देश में मातृ मृत्यु दर का 8 प्रतिशत आंकड़ा असुरक्षित गर्भपात के कारण दर्ज किया जाता है।
हस्ताक्षर अभियान की हुई शुरुआत: बीभीएचए के वरिष्ठ कार्यक्रम पदाधिकारी खुर्शीद एकराम अंसारी ने आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के कार्यक्रम एवं सांझा प्रयास नेटवर्क के संबंध में जानकारी दी। साथ ही यह भी बताया गया कि 98 एनजीओ को साझा प्रयास नेटवर्क से जोड़ा गया। कार्यक्रम के अंत में साझा प्रयास नेटवर्क के अन्तर्गत हस्ताक्षर कराया गया। इसका स्लोगन था हम महिलाओं के प्रजनन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षित गर्भपात संबंधित अधिकारों का समर्थन करते हैं। कार्यशाला में स्लोगन के पत्र पर शामिल प्रतिभागियों ने हस्ताक्षर कर अभियान की शुरुआत की। महिलाओं के प्रजनन स्वस्थ्य, किशोरी स्वस्थ्य एवं सुरक्षित गर्भपात की महत्ता को सारे प्रतिभागियों ने स्वीकारा और समुदाय को जागरूक करने का संकल्प लिया।