21 जून से फ्री वैक्सीनेशन फॉर ऑल- मोदी

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पीएम मोदी ने सोमवार को देश को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार थमने के साथ ही दिल्ली समेत कई राज्यों में लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील दी जा रही है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना की दूसरी वेब से हम भारतवासियों की लड़ाई जारी है। दुनिया के अनेक देशों की तरह भारत भी बहुत बड़ी पीड़ा से गुजरा है। हममें से कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है। ऐसे परिवारों के साथ मेरी पूरी संवेदना है। बीते 100 वर्षों में आई सबसे बड़ी त्रासदी है। इस तरह की महामारी आधुनिक युग ने न देखी थी न अनुभव की थी। इतनी बड़ी महामारी से हमारा देश एकसाथ लड़ा है। कोविड से लड़ने के लिए बीते सवा साल में देश में एक नया हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। ऑक्सीजन रेल चलाई गई, नौसेना को लगाया गया।

पीएम मोदी ने कहा कि सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है। वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है। आज पूरे विश्व में वैक्सीन की जो मांग है उसके तुलना में उत्पादन करने वाले बहुत कम है। अगर अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो कल्पना कीजिए भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? पिछले पचास सालों के इतिहास देखें तो भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाता था। विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था। पोलियो की वैक्सीन हो, चेचक की वैक्सीन हो, हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन हो, इनके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था। 2014 में जब देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था। वैक्सीनेशन के लिए हमने मिशन मोड में काम किया।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी दृष्टि में ये चिंता की बात थी। जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण चल रहा था, उस हिसाब से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते। हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को शुरु किया। मिशन इंद्रधनुष से युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन किया। 5 सालों में वैक्सीनेसन कवरेज 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत हुई। हमने टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ाई और दायरा भी बढ़ाया। हमने बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को भी भारत के टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया। क्योंकि हमें देश के बच्चों की चिंता थी, हमें गरीबों की चिंता थी। आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं।