31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर जिलाभर में आयोजित होंगे कई जागरूकता कार्यक्रम

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Early studies suggest that smokers who develop COVID-19 are 14 times more likely than nonsmokers to need intensive treatment. (Hannah Norman/KHN)
– विभिन्न जानलेवा बीमारियों की जड़ है तम्बाकू का सेवन
– मजबूत इच्छाशक्ति के साथ प्रण लेकर छोड़ सकते हैं तम्बाकू सेवन की लत
– तम्बाकू सेवन रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया है कानून
मुंगेर, 19 मई। आगामी 31 मई को मनाए जाने वाले विश्व तंबाकू निषेध दिवस को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इस वर्ष का थीम ” तंबाकू हमारे पर्यावरण के लिए है खतरा ”  घोषित किया गया है। आम तौर पर देखा गया है कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन के कारण कईं ऐसे तथ्य सामने आए जिसके कारण पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है जैसे कि कोई व्यक्ति सिगरेट पीने के बाद सिगरेट के बट‌ को जमीन पर डाल देते हैं।
जिला के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि बहुत से नुकसानदायक बीमारियों की शुरुआत के पीछे तम्बाकू का सेवन ही मुख्य कारण होता है। तम्बाकू के सेवन के प्रति रुचि आजकल न सिर्फ युवाओं में बल्कि स्कूली बच्चों में बढती जा रही है। तम्बाकू सेवन बहुत से गंभीर बीमारियों की जड़ है इसलिए इसको रोकने और इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 31 मई को पूरे विश्व में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। मालूम हो कि विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की शुरुआत डब्ल्यूएचओ के द्वारा 1987 में की गयी थी। इसका  उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है, जो वर्तमान में दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है।
उन्होंने बताया कि विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर जिला भर में विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे ,जैसे तम्बाकू उत्पाद इस्तेमाल नहीं करने को लेकर शपथ ग्रहण कार्यक्रम, हस्ताक्षर अभियान या माइकिंग के साथ प्रभात फेरी ।
विभिन्न जानलेवा बीमारियों की जड़ है तम्बाकू का सेवन :
जिला के गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. के. रंजन ने बताया कि तम्बाकू सेवन बहुत सी नुकसान दायक बीमारियों की जड़ है। कैंसर जैसी बीमारी भी तम्बाकू के सेवन से ही होती है। फेफड़ों की बीमारियां जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस व एम्फिसेमा होने की मुख्य वजह धूम्रपान ही है। क्रोनिक यानी लम्बे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े एवं सांस की नली के कैंसर होने की सम्भावना ज्यादा होती है। दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या ज्यादा है। जिसकी मुख्य वजह अत्यधिक धूम्रपान का करना ही होता है। खैनी, पुड़िया, जर्दा, पीला पत्ती आदि के सेवन से मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) की संभावना बनी रहती है। इन सभी तरह की रोगों को पूरी तरह समाप्त करने के लिए धूम्रपान का खत्म होना ही सबसे जरूरी विकल्प है।
मजबूत इच्छाशक्ति के साथ प्रण लेकर छोड़ सकते हैं तम्बाकू सेवन की लत :
एनसीडी विभाग मुंगेर में कार्यरत राखी मुखर्जी ने बताया कि तम्बाकू की लत बहुत खराब होती है। अगर कोई व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है तो फिर इससे निकलना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति इससे निकलना चाहे तो इसके लिए उन्हें चिकित्सकीय उपचार से ज्यादा मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है। मजबूत इच्छाशक्ति के साथ चिकित्सकीय उपचार व परिवार एवं आसपास के लोगों का सहयोग लेकर लोग तम्बाकू सेवन की लत से बाहर निकल सकते हैं।
तम्बाकू सेवन रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया है कानून :
गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. के. रंजन ने बताया कि तम्बाकू सेवन को रोकने के लिए सरकार द्वारा कानून बनाया गया है। इसके लिए तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम कोटपा लागू किया गया है। कोटपा के तहत तम्बाकू के गलत इस्तेमाल करते हुए पकड़े जाने पर लोगों को धारा 4, 5, 6 तथा 7 के तहत कानूनी कार्यवाही व आर्थिक दंड वसूला जा सकता है।
तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा) के तहत तय किया गया कानून :
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर धारा 4 के अनुसार 200 रुपये की जुर्माना देय है। वहीं धारा 5 के अनुसार तम्बाकू पदार्थों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर 1 से 5 साल की कैद व 1000 से 5000 तक का जुर्माना देय है।
धारा 6 के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के अवयस्कों को तम्बाकू पदार्थ बेचने वालों को 200 रुपये जुर्माना लगाया जाता है। वहीं धारा 7 के अनुसार बिना चित्रित व पैकेट के 85% भाग पर मुख्य रूप से न छपे वैधानिक चेतावनी के तम्बाकू पदार्थ बेचने पर 2 से 5 साल की कैद व 1000 से 10000 तक जुर्माना लगाया जा सकता है।