-बच्चे को दो साल के अंदर सभी तरह के टीके अवश्य लगवाएं
-निमोनिया समेत 12 अन्य बीमारियों से भी बच्चे का होगा बचाव
बांका, 21 मई-
मौसम में लगातार उताच-चढ़ाव हो रहा है। कभी तेज धूप तो कभी बारिश हो रही है। ऐसे मौसम में बच्चों और बुजुर्गों को निमोनिया से बचाव को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। निमोनिया सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है। यह बैक्टीरिया, वायरस और फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। आमतौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है। सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है। निमोनिया का प्रारम्भिक इलाज सीने का एक्स-रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है। निमोनिया माइक्रो बैक्टीरिया वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है। इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतर उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का टीकाकरण ही है।
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी-खांसी जैसे हो सकते हैं। ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। जिन बच्चों को पीसीवी का टीका नहीं पड़ा है, उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती है। इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है। इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। इसलिए, अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध निःशुल्क पीसीवी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं। बच्चे को जन्म के बाद दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीके जरूर लगवाने चाहिए। इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है, इसके अलावा वह 12 से अधिक प्रकार की बीमारियों से भी दूर रहता है।
ये हैं निमोनिया के प्रारंभिक लक्षणः निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण बुखार के साथ पसीना एवं कपकपी होना, अत्यधिक खांसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना ( जैसे कि सांस लेने के दौरान आवाज होना), होठ या अंगुलियों के नाखून नीले दिखाई देना, बच्चों की परेशानी व उत्तेजना बढ़ जाना है।
ये हैं निमोनिया से बचाव के उपाय: वैसे तो निमोनिया से बचाव का एकमात्र उपाय टीकाकरण ही है। यह एक सांस संबंधी बीमारी है, इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है, जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो। इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।