पीयर-सपोर्ट को बढ़ावा देने हेतु नए प्रशिक्षण मॉड्यूल किए गए लॉन्च

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भोपाल-  देश में किशोरों और युवाओं की बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने यूनिसेफ और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (NIMHANS) के साथ मिलकर आज भोपाल में आयोजित एक राष्ट्रीय परामर्श सत्र में किशोर एवं युवा मानसिक स्वास्थ्य पर एक नेशनल फैक्ट शीट और ‘आई सपोर्ट माय फ्रेंड्स’ (मैं अपने मित्र का समर्थन करता हूँ) नामक नया प्रशिक्षण मॉड्यूल लॉन्च किया गया। यह मॉड्यूल पहले से चल रहे राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK) के अंतर्गत मौजूद पीयर-सपोर्ट मॉड्यूल का विस्तार है।

यह पूरक मॉड्यूल किशोरों को व्यावहारिक पहलुओं में दक्ष करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, ताकि वे भावनात्मक संकट के लक्षणों की पहचान कर, सहानुभूतिपूर्ण समर्थन देते हुए अपने साथियों को आवश्यक सहायता से जोड़ सकें।

यूनिसेफ-डब्ल्यूएचओ के वैश्विक संसांधनों के सार के रूप में  यह एक-दिवसीय प्रशिक्षण मॉड्यूल  NIMHANS द्वारा भारतीय संदर्भ में ढाला गया है।  “लुक, लिसन, लिंक” (देखें, सुनें, जोड़ें) फ्रेमवर्क पर आधारित इस मॉड्यूल में सहभागिता एवं परिदृश्य आधारित शिक्षण और मार्गदर्शित चिंतन शामिल हैं, जो भावनात्मक समझ, सहायक संवाद और ज़िम्मेदार पीयर-एंगेजमेंट को बढ़ावा देते हैं।

माननीय मंत्री  श्री एन. शिवाजी पटेल, राज्य स्वास्थ्य मंत्री मध्य प्रदेश ने कहा कि “आज के किशोर कई प्रकार के दबावों का सामना कर रहे हैं—चाहे वह शिक्षा, परिवार या सामाजिक वातावरण हो। हमें ऐसे तंत्र बनाने होंगे जो उन्हें बोलने, सुने जाने और समर्थन प्राप्त करने का अवसर दें। उनके मानसिक स्वास्थ्य में निवेश करना सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी और हमारे साझा भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता है।”

माननीय उपमुख्यमंत्री मध्य प्रदेश  श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि “अपने मानसिक स्वास्थ्य और अपने साथियों की भलाई के लिए किशोरों को सक्षम बनाना, प्रदेश और राष्ट्र के भविष्य में निवेश है। इस नए पीयर-सपोर्ट मॉड्यूल जैसी पहल के माध्यम से हम एक ऐसे समाज की ओर अग्रसर होंगे ,जहाँ युवाओं को सुना और समझा जाता है, जिससे वे स्वयं और राष्ट्र कि समृद्धि की ओर अग्रसर होंगे।”

डॉ. सलोनी सिडाना मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश ने किशोर मानसिक स्वास्थ्य की व्यापकता में प्रदेश के प्रयासों की प्रतिबध्दता पर जोर दिया । कार्यक्रम में उपस्थित भारत शासन की प्रतिनिधि डॉ. ज़ोया अली रिज़वी उप आयुक्त (किशोर स्वास्थ्य) ने इस मॉड्यूल को भारत की एकीकृत और युवा-उत्तरदायी मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली की ओर बढ़ते कदम का हिस्सा बताया।  डॉ. प्रतिमा मूर्ति, निदेशक, NIMHANS बैंग्लोर  ने रोजमर्रा के परिवेश में  मानसिक स्वास्थ्य सहायता पर जोर दिया ।

यूनिसेफ इंडिया के स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. विवेक सिंह ने भारत में हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुई प्रगति की सराहना करते हुए एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करने की बात की और  इस बदलाव में सरकार को व्यापक, युवा-नेतृत्व वाले दृष्टिकोणों के माध्यम से सहयोग देने के लिए यूनिसेफ की प्रतिबद्धता जाहिर की।

यूनिसेफ मध्य प्रदेश के फील्ड ऑफिस के प्रमुख श्री अनिल गुलाटी ने कहा कि, “राज्य और समुदाय स्तर की व्यवस्थाएं ही राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को ज़मीन पर उतार सकती हैं। यदि हम सुरक्षित वातावरण बना सकें, पीयर- सपोर्टर को प्रशिक्षित कर सकें और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को सशक्त बना सकें, तो देश के किसी भी कोने में रहने वाला हर किशोर समर्थन, समझ और आशा पा सकेगा।”

सत्रों के दौरान यह ज़ोर दिया गया कि मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ, जैसे कि चिंता, आत्म-संकोच, डिजिटल लत, मानसिक अवसाद और आत्म-हानि, से जूझ रहे किशोरों को शुरुआती मदद मिलनी चाहिए और इनके इर्द-गिर्द बने सामाजिक कलंक को दूर करना होगा। चर्चा में यह भी उभरा कि सामाजिक सोच, पारिवारिक अपेक्षाएं, शैक्षणिक दबाव और रिश्तों में तनाव जैसे कारक किशोरों पर गहरा असर डालते हैं। देशभर से आए युवा प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए इस बात को रेखांकित किया कि युवाओं के लिए सुरक्षित और सहयोगी वातावरण सबसे ज़रूरी है।

इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, डॉ. सलोनी सिडाना (मिशन संचालक, NHM, मध्य प्रदेश), डॉ. सैयद हुब्बे अली (स्वास्थ्य विशेषज्ञ, यूनिसेफ), और श्री अनिल गुलाटी (मुख्य फील्ड ऑफिसर, यूनिसेफ म.प्र.) समेत AIIMS, TISS, NIMHANS और सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ लॉ एंड पॉलिसी के विशेषज्ञों ने भाग लिया।

Rajeev jain ,editor -beyond india